झारखंड सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए “अबुआ बजट” पेश किया है, जिसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार ने जनहितैषी और विकासोन्मुखी बताया है। इस बजट में खासतौर पर किसान, आदिवासी, गरीब, युवा और महिलाओं के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाओं की घोषणा की गई है। हालांकि, विपक्ष इसे महज “चुनावी स्टंट” बता रहा है। आइए जानते हैं इस बजट की मुख्य बातें और इससे जुड़े विवाद।
बजट की प्रमुख घोषणाएँ
1. किसानों के लिए राहत
कृषि ऋण माफी योजना को जारी रखा जाएगा, जिससे हजारों किसानों को राहत मिलेगी।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी।
सिंचाई सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए नई योजनाएँ लागू होंगी, ताकि खेती को अधिक लाभकारी बनाया जा सके।
2. युवाओं और शिक्षा पर जोर
बेरोजगार युवाओं को रोजगार भत्ता देने की घोषणा की गई, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर युवाओं को राहत मिलेगी।
आदिवासी और दलित छात्रों के लिए छात्रवृत्ति में वृद्धि की गई है।
सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार के लिए अतिरिक्त बजट आवंटित किया गया है।
3. स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार
हर जिले में नए अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना की जाएगी।
गरीबों के लिए मुफ्त इलाज योजनाओं का विस्तार किया जाएगा।
महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष स्वास्थ्य सेवाएँ शुरू की जाएंगी।
4. बुनियादी ढाँचे का विकास
ग्रामीण सड़कों और पुलों के निर्माण के लिए अधिक फंड दिया जाएगा।
बिजली और पानी की समस्याओं के समाधान के लिए नई योजनाएँ लाई जाएँगी।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहरी विकास पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
5. आदिवासी और पिछड़े वर्गों के लिए विशेष योजनाएँ
आदिवासी समुदायों को भूमि पट्टा योजना के तहत लाभ मिलेगा।
महिलाओं को स्वरोजगार के लिए नए ऋण और अनुदान दिए जाएँगे।
जनजातीय संस्कृति और कला को बढ़ावा देने के लिए अलग से फंड आवंटित किया जाएगा।
विपक्ष का हमला: “अबुआ बजट सिर्फ चुनावी स्टंट”
विपक्षी दलों ने इस बजट को “चुनावी लॉलीपॉप” बताया है। उनका कहना है कि सरकार ने जनता को लुभाने के लिए बड़े-बड़े वादे किए हैं, लेकिन इन योजनाओं का जमीनी असर अब तक नहीं दिखा है।
भाजपा के नेताओं का कहना है कि हेमंत सरकार ने पहले भी कई घोषणाएँ की थीं, लेकिन उन्हें सही तरीके से लागू नहीं किया गया।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने रोजगार भत्ते और कृषि ऋण माफी जैसी योजनाओं पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि ये सिर्फ वोट बैंक को साधने की रणनीति है।
सरकार का दावा: “अबुआ बजट झारखंड का भविष्य बदलेगा”
सरकार का कहना है कि यह बजट झारखंड के आर्थिक सशक्तिकरण और सामाजिक कल्याण को ध्यान में रखकर बनाया गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार ने हमेशा गरीबों, किसानों और आदिवासियों के हितों की रक्षा की है, और यह बजट उसी दिशा में एक और बड़ा कदम है।सरकार ने कहा कि बजट में विकास और सामाजिक न्याय का संतुलन बनाया गया है।
राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए नए निवेश और बुनियादी ढाँचे के विकास पर जोर दिया गया है।
किसानों, युवाओं और महिलाओं को सशक्त बनाकर राज्य के संपूर्ण विकास की योजना बनाई गई है।
क्या यह बजट झारखंड की जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेगा?
अबुआ बजट 2025-26 निश्चित रूप से झारखंड की आम जनता के लिए कई नई योजनाएँ लेकर आया है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या ये योजनाएँ जमीनी स्तर पर सही ढंग से लागू हो पाएंगी?
अगर सरकार अपनी योजनाओं को ईमानदारी से लागू कर पाई, तो यह बजट झारखंड के विकास में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
अगर ये घोषणाएँ सिर्फ चुनावी रणनीति निकलीं, तो यह जनता के लिए एक और अधूरा वादा बनकर रह जाएगा।
आने वाले महीनों में इस बजट के प्रभावों का आकलन किया जाएगा, लेकिन यह तय है कि झारखंड की राजनीति में यह बजट एक बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है।