अखिलेश यादव द्वारा बीजेपी पर लगाए गए आरोपों को लेकर राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर बहस तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को वरिष्ठ नेता आज़म खान से मुलाकात के बाद कहा कि आज़म खान और उनके परिवार को झूठे मुकदमों में फंसाया गया है। यह बयान न केवल आज़म खान के प्रति समर्थन का संकेत है, बल्कि बीजेपी सरकार पर सीधा हमला भी है।
अगर हम विपक्ष के नजरिए से देखें तो अखिलेश यादव का यह आरोप उत्तर प्रदेश की राजनीति में लगातार चल रही सत्ता बनाम विपक्ष की खींचतान का हिस्सा है। विपक्ष का आरोप है कि बीजेपी सरकार विरोधी नेताओं पर राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई करती है। वहीं, बीजेपी का कहना है कि कानून अपना काम कर रहा है और अगर किसी ने गलत किया है तो उसे सजा मिलनी चाहिए, चाहे वह किसी भी पार्टी का हो।
कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अखिलेश यादव का यह बयान आगामी चुनावों को देखते हुए एक राजनीतिक रणनीति भी हो सकता है। इससे मुस्लिम मतदाताओं और आज़म खान के समर्थकों को साधने की कोशिश स्पष्ट दिखती है।
हालांकि, सच्चाई क्या है, यह न्यायिक प्रक्रिया और जांच के परिणाम से ही तय होगा। आम जनता के बीच इस मुद्दे पर राय बंटी हुई है—कुछ लोग अखिलेश के समर्थन में हैं, जबकि अन्य इसे केवल राजनीतिक बयानबाजी या चुनावी स्टंट मानते हैं। अंततः लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपनी राय रखने का अधिकार है।
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