बिहार में शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया के चौथे चरण के तहत 80 हजार से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति की तैयारी जोरों पर है। लेकिन इसी बीच कटिहार जिले से एक बड़ी लापरवाही और घोटाले का मामला सामने आया है। बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) द्वारा चयनित शिक्षकों की बहाली में गड़बड़ी की खबरें आ रही हैं। कटिहार जिले के डंडखोरा प्रखंड स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय दुर्गा स्थान में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां सामाजिक विज्ञान विषय में उत्तीर्ण शिक्षक को हिंदी विषय के तहत नियुक्त कर दिया गया।
क्या है पूरा मामला?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, शिक्षक शत्रुघ्न राम, जिन्होंने बीपीएससी टीआर-2 परीक्षा में सामाजिक विज्ञान विषय से उत्तीर्ण किया था, उन्हें हिंदी विषय के शिक्षक के रूप में नियुक्त कर दिया गया। इतना ही नहीं, विद्यालय में उनसे हिंदी विषय पढ़ाने का कार्य भी लिया जा रहा था। यह मामला तब उजागर हुआ जब स्थानीय शिक्षकों और अभिभावकों को इस गड़बड़ी की जानकारी मिली।
इस गंभीर लापरवाही को लेकर कटिहार के जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) कार्यालय ने तत्काल संज्ञान लिया और 30 जनवरी 2025 को संबंधित शिक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी किया। जारी नोटिस में शिक्षक से स्पष्ट रूप से पूछा गया है कि वे इस गड़बड़ी पर अपना पक्ष साक्ष्यों सहित प्रस्तुत करें, अन्यथा उनकी सेवा समाप्त कर दी जाएगी और अब तक प्राप्त वेतन की वसूली भी की जाएगी।
गलती शिक्षक की या शिक्षा विभाग की?
इस मामले के सामने आने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई? क्या यह सिर्फ एक मानवीय त्रुटि थी, या फिर इसमें गहरी साजिश छिपी हुई है?
शिक्षक की गलती मान भी लें, तो सवाल यह है कि कटिहार में डीआरसी भवन में हुई काउंसलिंग प्रक्रिया में यह गड़बड़ी कैसे नहीं पकड़ी गई? इस प्रक्रिया में लाखों रुपये खर्च किए गए, कई महीनों तक काउंसलिंग चली, दर्जनों डाटा ऑपरेटर, लिपिक, शिक्षा विभाग के अधिकारी और अन्य पदाधिकारी इसमें शामिल थे। फिर कैसे एक सामाजिक विज्ञान विषय में उत्तीर्ण शिक्षक को हिंदी विषय के शिक्षक के रूप में बहाल कर दिया गया?
क्या है बीपीएससी शिक्षक बहाली के नियम?
बिहार में शिक्षकों की बहाली बीपीएससी द्वारा तय किए गए नियमों के तहत होती है। 2025 में जारी बहाली प्रक्रिया के अनुसार, किसी भी शिक्षक को पद के अनुरूप शैक्षणिक योग्यता, प्रशिक्षण और BTET/CTET/STET परीक्षा पास करना अनिवार्य है।
• उम्मीदवार को संबंधित विषय में स्नातक/स्नातकोत्तर डिग्री होनी चाहिए।
• बीएड या डीएलएड जैसे आवश्यक शिक्षक प्रशिक्षण पूरा किया होना चाहिए।
• बीपीएससी परीक्षा पास करने के बाद, काउंसलिंग के दौरान सभी दस्तावेजों की जांच की जाती है।
• चयन प्रक्रिया में विषय की अनिवार्यता स्पष्ट रूप से निर्धारित होती है।
अब इस मामले में बड़ा सवाल यह है कि क्या यह पूरी गलती केवल शिक्षक की थी, या फिर काउंसलिंग करने वाले शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही भी इसमें शामिल थी?
इस मामले के सामने आने के बाद शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल उठने लगे हैं। अगर इस तरह की गड़बड़ियां हो रही हैं, तो क्या यह मान लिया जाए कि कई अन्य जिलों में भी इसी तरह से शिक्षकों की बहाली में धांधली हुई होगी? अगर सामाजिक विज्ञान से उत्तीर्ण शिक्षक को हिंदी विषय में नियुक्त किया गया है, तो अन्य विषयों में भी इस तरह की गड़बड़ियां संभव हैं। ऐसे में पूरे बहाली तंत्र की निष्पक्ष जांच आवश्यक हो गई है।
बिहार में शिक्षा विभाग पहले ही कई बार विवादों में रहा है। परीक्षा में नकल से लेकर, फर्जी प्रमाणपत्रों पर बहाली, और अब गलत विषय में शिक्षकों की नियुक्ति जैसे मामलों ने इस व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। अगर इस तरह की लापरवाहियां जारी रहीं, तो इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गहरा असर पड़ेगा। सरकार को चाहिए कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में ऐसी गड़बड़ियां दोबारा न हों।
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