बजट पेश होने से पहले बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात

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पटना: बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की। यह बैठक ऐसे समय में हुई जब बिहार विधानसभा में बजट सत्र जारी है और राज्य सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट पेश किया जाना है। हालाँकि, इस मुलाकात को लेकर आधिकारिक तौर पर कोई विस्तृत जानकारी साझा नहीं की गई है, लेकिन इसे शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है।

बजट सत्र और मुलाकात के राजनीतिक मायने

बिहार विधानसभा का बजट सत्र 12 फरवरी से शुरू हुआ था और 29 फरवरी तक चलेगा। इस दौरान राज्य की वित्तीय स्थिति, विकास योजनाओं और नीतिगत फैसलों पर चर्चा होगी। राज्य सरकार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी मंगलवार को विधानसभा में बजट पेश करेंगे। ऐसे में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच हुई इस मुलाकात को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि हाल ही में बिहार की राजनीति में कई बड़े बदलाव हुए हैं, जिनमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एनडीए में लौटना और भाजपा के साथ सरकार बनाना शामिल है। ऐसे में राज्यपाल की यह मुलाकात सिर्फ औपचारिक नहीं हो सकती, बल्कि इसे सरकार की नीतियों और बजट को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक के रूप में भी देखा जा सकता है।

सरकार की प्राथमिकताएँ और संभावित बजट प्रावधान

बिहार सरकार इस बार के बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और कृषि क्षेत्र पर विशेष जोर दे सकती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार के पिछले कार्यकालों में “सात निश्चय” योजनाओं को प्रमुखता दी गई थी, जिनमें युवाओं के लिए कौशल विकास, महिलाओं के लिए विशेष योजनाएँ और बुनियादी ढांचे के विकास को प्राथमिकता दी गई थी।

इस बार के बजट में भी युवाओं के रोजगार, किसानों की सहायता और औद्योगिक विकास को गति देने के लिए नई घोषणाएँ हो सकती हैं। राज्य में बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई को देखते हुए, सरकार कुछ राहत भरी योजनाएँ भी ला सकती है।

विपक्ष की रणनीति और संभावित हमला

बिहार में विपक्षी दल, विशेष रूप से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस, सरकार के बजट को लेकर हमलावर रुख अपना सकते हैं। विपक्ष का आरोप है कि नीतीश कुमार ने एक बार फिर जनादेश के खिलाफ जाकर भाजपा के साथ सरकार बनाई है और अब बजट में भी जनहित की जगह राजनीतिक संतुलन बनाने की कोशिश होगी।

विपक्षी दल यह भी मुद्दा उठा सकते हैं कि बिहार में बेरोजगारी दर अभी भी राष्ट्रीय औसत से अधिक है और राज्य सरकार युवाओं को पर्याप्त रोजगार के अवसर नहीं दे पा रही है। इसके अलावा, कानून-व्यवस्था को लेकर भी सरकार पर सवाल उठ सकते हैं।


राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यह मुलाकात भले ही एक औपचारिक बैठक के रूप में पेश की जा रही हो, लेकिन इसके राजनीतिक और प्रशासनिक मायने गहरे हो सकते हैं। आगामी बजट से बिहार की जनता को क्या उम्मीदें रखनी चाहिए और विपक्ष इस पर क्या रुख अपनाता है, यह देखना दिलचस्प होगा।

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