Sardar Vallabhbhai Patel Death Anniversary: Statue of Unity से एकता के लौह स्तंभ को श्रद्धांजलि

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Sardar Vallabhbhai Patel Death Anniversary: Statue of Unity से एकता के लौह स्तंभ को श्रद्धांजलि 15 दिसंबर, Sardar Vallabhbhai Patel की पुण्यतिथि, भारत के इतिहास में उस दिन को याद करने का अवसर है जब देश ने अपने “लौह पुरुष” को खो दिया था। उनकी स्मृति और योगदान को सजीव बनाए रखने के लिए भारत ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (Statue of Unity) के रूप में उन्हें एक अमर श्रद्धांजलि दी है। यह प्रतिमा उनके जीवन, संघर्ष और राष्ट्रीय एकता के प्रति उनके अमूल्य योगदान का प्रतीक है।

गुजरात के नर्मदा जिले में स्थित, यह प्रतिमा (Statue of Unity) न केवल सरदार पटेल के कृतित्व को दर्शाती है, बल्कि उनके आदर्शों और भारतीय संस्कृति के प्रति उनके समर्पण को भी उजागर करती है। आज, उनकी पुण्यतिथि पर, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी विशेष रूप से राष्ट्र के लिए एकता और अखंडता के उनके संदेश को सुदृढ़ करने का प्रतीक बनकर उभरा है।

Sardar Vallabhbhai Patel: एक अखंड भारत की नींव

Sardar Vallabhbhai Patel, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता और भारत के पहले उपप्रधानमंत्री व गृहमंत्री, ने देश की 562 रियासतों को भारतीय संघ में शामिल करने का असाधारण कार्य किया। यह कार्य उनकी अद्भुत नेतृत्व क्षमता और कूटनीतिक कौशल का प्रमाण है।

पटेल की इस असाधारण उपलब्धि ने भारत के मानचित्र को साकार रूप दिया। उनकी यह अद्वितीय क्षमता थी कि उन्होंने न केवल शाही रियासतों को शांतिपूर्ण तरीकों से एकजुट किया, बल्कि उन्होंने देश में कानून और व्यवस्था को मजबूत बनाया। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (Statue of Unity) उनके इन्हीं योगदानों की याद दिलाने वाला एक भव्य प्रतीक है, जिसे देखने पर हर भारतीय गर्व से भर उठता है।

Statue of unity: एकता और गौरव का प्रतीक

31 अक्टूबर 2018 को सरदार पटेल ( Sardar Vallabhbhai Patel) की जयंती पर उद्घाटित यह प्रतिमा 182 मीटर ऊंची है और विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा का गौरव रखती है। इसे गुजरात के केवड़िया में सरदार सरोवर बांध के पास स्थापित किया गया है।

इस स्मारक के निर्माण में आधुनिक इंजीनियरिंग और वास्तुकला का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया गया है। प्रतिमा के निर्माण में लोहे और कांसे का उपयोग किया गया है, जो इसे स्थायित्व और भव्यता प्रदान करते हैं। इसे बनाने में भारत के हजारों किसानों द्वारा दान किए गए लोहे का भी इस्तेमाल किया गया, जो इसे वास्तव में जनसहभागिता का प्रतीक बनाता है।

स्थानीय और राष्ट्रीय विकास का केंद्र

Statue of Unity केवल एक स्मारक नहीं है, यह राष्ट्रीय और क्षेत्रीय विकास का केंद्र भी बन चुका है। इसके आसपास के क्षेत्र में पर्यटन, शिक्षा और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए बड़े पैमाने पर विकास कार्य हुए हैं।

पर्यटन का प्रभाव: प्रतिमा ने केवड़िया को एक प्रमुख पर्यटन स्थल बना दिया है। यहां आने वाले लाखों पर्यटक स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और आर्थिक समृद्धि का साधन बन रहे हैं।

सतत विकास: इस क्षेत्र को हरित और पर्यावरण-अनुकूल बनाने के लिए विशेष पहल की गई हैं। वैली ऑफ फ्लावर्स, जंगल सफारी, और टेंट सिटी जैसे आकर्षण पर्यटकों को प्रकृति के करीब लाते हैं।

शैक्षिक दृष्टि: सरदार पटेल के जीवन और योगदान पर आधारित एक संग्रहालय और audio visual गैलरी यहां मौजूद हैं, जो युवा पीढ़ी को उनके आदर्शों से जोड़ने का काम करती हैं।

एकता के प्रतीक को श्रद्धांजलि

सरदार पटेल की पुण्यतिथि के अवसर पर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के महत्व को समझना और उनके विचारों को आत्मसात करना अत्यंत आवश्यक है। उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि कठिन से कठिन परिस्थिति में भी दृढ़ संकल्प और सही नेतृत्व से सफलता प्राप्त की जा सकती है।

आज जब देश विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, पटेल की शिक्षाएं और उनका समर्पण हमें प्रेरित करते हैं कि हम अपने कर्तव्यों को निभाएं और देश को एकता और अखंडता के साथ आगे बढ़ाएं। सरदार पटेल की पुण्यतिथि पर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से बढ़कर कोई और स्थान उनकी स्मृति को सम्मानित करने के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता। यह प्रतिमा केवल एक स्थापत्य कृति नहीं है, बल्कि यह उन मूल्यों और विचारों का जीवंत प्रतीक है जो सरदार पटेल ने अपने जीवन में अपनाए और देश को सिखाए।

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