झारखंड के धनबाद जिले में अंधविश्वास के चलते पांच महिलाओं को अमानवीय प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा। गांव के कुछ लोगों ने इन्हें ‘डायन’ करार देकर मानसिक और शारीरिक रूप से इतना प्रताड़ित किया कि उन्हें अपने परिवार सहित गांव छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। यह घटना समाज में व्याप्त कुरीतियों और अंधविश्वास के घिनौने रूप को दर्शाती है।
कैसे शुरू हुआ मामला?
धनबाद के एक गांव में रहने वाली ये पांच महिलाएं अपने घर-परिवार के साथ सामान्य जीवन बिता रही थीं। लेकिन अचानक गांव में किसी की बीमारी या अनहोनी को लेकर कुछ लोगों ने इन पर ‘डायन’ होने का आरोप लगा दिया। ओझा-गुनी के बहकावे में आकर ग्रामीणों ने इनके खिलाफ माहौल बनाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे स्थिति इतनी बिगड़ गई कि इन महिलाओं को खुलेआम अपमानित किया जाने लगा।
शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न
पीड़ित महिलाओं का आरोप है कि गांव के कुछ दबंग उनके घरों में घुस आए और उन्हें ‘डायन’ बताकर गालियां देने लगे। उन्होंने महिलाओं के साथ मारपीट की और गांव छोड़ने की धमकी दी। डर के मारे इन महिलाओं ने अपने परिवार सहित गांव छोड़ दिया। अब वे वापस जाने से भी डर रही हैं, क्योंकि आरोपियों ने जान से मारने की धमकी दी है।
मीडिया के सामने दर्द बयां किया
अपनी आपबीती बताने के लिए ये महिलाएं धनबाद के रणधीर वर्मा चौक स्थित गांधी सेवा सदन पहुंचीं। यहां उन्होंने मीडिया के सामने अपने साथ हुए अन्याय को उजागर किया और प्रशासन से मदद की गुहार लगाई। उन्होंने बताया कि गांव के कुछ लोग लगातार उन्हें प्रताड़ित कर रहे थे और जब उन्होंने विरोध करने की कोशिश की, तो उन्हें और ज्यादा धमकियां मिलने लगीं।
पुलिस कार्रवाई और प्रशासन का रवैया
इस घटना के बाद महिलाओं ने टुंडी थाना में शिकायत दर्ज कराई। थाना प्रभारी उमाशंकर ने बताया कि मामले में 16 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और पुलिस जांच कर रही है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि अगर पीड़ितों को कोई और समस्या होती है, तो वे तुरंत पुलिस से संपर्क कर सकती हैं।
जनप्रतिनिधि की प्रतिक्रिया
डुमरी विधायक जयराम महतो ने इस घटना की निंदा की और कहा कि 21वीं सदी में इस तरह की घटनाएं बेहद शर्मनाक हैं। उन्होंने प्रशासन से दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की।
यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि हमारे समाज में अंधविश्वास और कुप्रथाएं कितनी गहराई तक जड़ें जमा चुकी हैं। सरकार और प्रशासन को सख्त कदम उठाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में कोई और महिला इस तरह की प्रताड़ना का शिकार न हो। इसके लिए जरूरी है कि समाज में जागरूकता फैलाई जाए और अंधविश्वास के खिलाफ कड़े कानूनों को प्रभावी बनाया जाए।
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