भारतीय राजनीति के पितामह और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के आधार स्तंभ कहे जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी को दिल्ली के अपोलो अस्पताल (Apollo Hospital) में भर्ती कराया गया है। 96 वर्षीय आडवाणी को न्यूरो संबंधी समस्याओं के चलते अस्पताल लाया गया, जहां उनका इलाज वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. विनीत सूरी की देखरेख में हो रहा है। फिलहाल उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है, लेकिन डॉक्टरों की टीम लगातार उनकी सेहत पर नजर बनाए हुए है।
भाजपा कार्यकर्ताओं, समर्थकों और देशभर के प्रशंसकों के लिए आडवाणी केवल एक नेता नहीं, बल्कि एक विचारधारा और प्रेरणा का स्रोत हैं। उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थनाएं देशभर में की जा रही हैं। डॉक्टरों का कहना है कि उनकी स्थिति फिलहाल स्थिर है और वे जल्द ही स्वास्थ्य लाभ करेंगे।
पहले भी हो चुके हैं अस्पताल में भर्ती
यह पहली बार नहीं है जब भाजपा के इस वरिष्ठ नेता को स्वास्थ्य समस्याओं के चलते अस्पताल में भर्ती होना पड़ा हो। इससे पहले जुलाई और अगस्त में भी उन्हें अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दोनों बार उन्हें कुछ दिनों तक चिकित्सा निगरानी में रखा गया और स्वस्थ होने पर डिस्चार्ज कर दिया गया था।
इसी वर्ष मिला था सर्वोच्च नागरिक सम्मान
लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) को इस साल भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया। यह सम्मान उनके उस विशाल योगदान के लिए है, जिसने भारतीय राजनीति और खासकर भाजपा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। जनसंघ से लेकर भाजपा तक का सफर तय करते हुए उन्होंने पार्टी को राष्ट्रीय राजनीति में एक अहम मुकाम पर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उनके नेतृत्व में राम मंदिर आंदोलन और रथ यात्राओं जैसे कई ऐतिहासिक अभियान चलाए गए, जिन्होंने न केवल भाजपा की नींव मजबूत की, बल्कि भारतीय राजनीति की दिशा भी बदली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के तमाम बड़े नेता आडवाणी को अपना मार्गदर्शक और प्रेरणास्त्रोत मानते हैं।
96 शब्द के हो गए हैं Lal Krishna Advani
8 नवंबर, 1927 को पाकिस्तान के कराची में जन्मे लालकृष्ण आडवाणी विभाजन के बाद भारत में आकर बस गए। राजनीति में उनकी यात्रा संघर्ष, समर्पण और सफलता की मिसाल है। उन्होंने राम रथ यात्रा, जनादेश यात्रा, स्वर्ण जयंती रथ यात्रा, भारत उदय यात्रा, भारत सुरक्षा यात्रा और जनचेतना यात्रा जैसी अनेकों ऐतिहासिक यात्राओं का नेतृत्व किया। ये यात्राएं भारतीय राजनीति में मील का पत्थर साबित हुई।
लालकृष्ण आडवाणी का जीवन देश की राजनीति और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य धरोहर है। उनके संघर्ष और समर्पण की गाथा हर भारतीय के दिल में जीवित है।
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