विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी तीन देशों की यात्रा के दूसरे चरण में जर्मनी में जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बैरबॉक के साथ मुलाकात की। बर्लिन में मंगलवार को हुई इस बैठक में दोनों नेताओं ने वैश्विक मुद्दों पर व्यापक चर्चा की। यूक्रेन में चल रहे संघर्ष, गाजा के हालात और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बदलते हालात जैसे विषयों पर दोनों ने अपने विचारों का आदान-प्रदान किया।
एक्स पर साझा की मुलाकात की तस्वीर
इस मुलाकात के बाद, जयशंकर ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी और बैरबॉक की तस्वीरें साझा कीं और लिखा कि वह आगामी 7वें अंतर-सरकारी परामर्श के लिए भारत में उनका स्वागत करने के लिए उत्साहित हैं। दोनों देशों के बीच इस तरह की उच्चस्तरीय वार्ताओं से द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूती मिलने की उम्मीद है, खासकर ऐसे समय में जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा और सहयोग की नई चुनौतियाँ उभर रही हैं।
इन मुद्दों पर की बात
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बर्लिन में जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बैरबॉक के साथ व्यापक चर्चा की, जिसमें व्यापार, निवेश, हरित और सतत विकास, कुशल श्रमिकों की गतिशीलता, प्रौद्योगिकी, और रक्षा एवं सुरक्षा जैसे मुद्दों पर बातचीत हुई। जयशंकर ने एक्स पर बताया कि उन्होंने भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी का विस्तार से जायजा लिया और यूक्रेन, गाजा, और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिति पर विचारों का आदान-प्रदान किया। उन्होंने यह भी कहा कि वह 7वें अंतर-सरकारी परामर्श के लिए बैरबॉक के भारत आगमन को लेकर उत्सुक हैं।
मंगलवार को बैठक के बाद प्रेस को संबोधित करते हुए, जयशंकर ने बताया कि दोनों देशों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल ही में हुई यूक्रेन यात्रा पर चर्चा की, और पश्चिम एशिया या मध्य पूर्व में गाजा संघर्ष और इसके व्यापक प्रभावों के बारे में भी बात की।
दोनों देशों की रक्षा और सुरक्षा पर की बात
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में भारत और उसके सहयोगियों के बीच सहयोग बढ़ा है। उन्होंने उल्लेख किया कि इस वर्ष पहली बार हवाई अभ्यास किया गया है, और अगले महीने गोवा में विदेशी नौसैनिक जहाजों का स्वागत करने की उम्मीद है। उन्होंने दोनों देशों की नीतियों और अन्य आदान-प्रदान को परस्पर लाभकारी बताया और कहा कि दोनों के रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग के नए अवसर खोजे जाने चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 100 दिवसीय एजेंडे पर चर्चा करते हुए जयशंकर ने बताया कि भारत ने इस एजेंडे के तहत देशभर में 12 नए औद्योगिक क्षेत्र बनाने की योजना बनाई है।
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