16वें वित्त आयोग की टीम के झारखंड दौरे के बीच राज्य को ‘विशेष राज्य’ का दर्जा देने की मांग को लेकर सियासी गर्मागर्मी शुरू हो गई है। जेएमएम ने आयोग के समक्ष यह मांग रखी है, साथ ही विकास योजनाओं के लिए केंद्र से 75% धनराशि की माँग की है। इसके बाद राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच जारी तनाव एक बार फिर सामने आया है।
भाजपा का आरोप: “पैसा मिलता है, लेकिन योजनाओं का क्रियान्वयन खराब
केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री व झारखंड के सांसद संजय सेठ ने जेएमएम पर निशाना साधते हुए कहा, “केंद्र सरकार हमेशा झारखंड की मदद करती आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई योजनाओं की शुरुआत यहाँ से की, लेकिन राज्य सरकार उन्हें ठीक से लागू नहीं कर पा रही। पैसा मिलता है, पर योजनाओं की गुणवत्ता में कमी रहती है।”
जेएमएम प्रवक्ता मनोज पांडे ने भाजपा के दावों को खारिज करते हुए कहा, “केंद्र सरकार झारखंड को उचित धनराशि नहीं दे रही। नान-जल योजना का पैसा लंबे समय से अटका है, अन्य योजनाओं में भी कटौती की गई है। राजधानी एक्सप्रेस की हालत खराब है, ट्रेन में चूहे दौड़ते हैं। झारखंड हेमंत सोरेन की सोच से आगे बढ़ रहा है, केंद्र का सहयोग नहीं मिल रहा।”
कांग्रेस ने उठाई माँग: “झारखंड को मिले विशेष दर्जा”
कांग्रेस प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने वित्त आयोग के आँकड़ों का हवाला देते हुए कहा, “झारखंड देश का चौथा प्रगतिशील राज्य है, लेकिन केंद्र का रवैया सौतेला रहा है। हम चाहते हैं कि राज्य को विशेष दर्जा मिले और जरूरी धनराशि दी जाए।”
झारखंड सरकार का तर्क है कि राज्य में आदिवासी बहुलता, खनिज संपदा और पिछड़े इलाकों के कारण विशेष दर्जा मिलना चाहिए, जिससे केंद्र से अधिक वित्तीय सहायता मिल सके। हालाँकि, केंद्र सरकार अब तक इस माँग पर सहमति नहीं दे पाई है।
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