रांची: भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की हाल ही में जारी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि झारखंड सरकार ने कोविड-19 महामारी के दौरान केंद्र सरकार से प्राप्त फंड का केवल 32% ही खर्च किया। यह रिपोर्ट राज्य के वित्तीय प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े करती है, खासकर तब जब महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति काफी चुनौतीपूर्ण रही।
क्या कहती है CAG की रिपोर्ट?
CAG की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार ने झारखंड को कोविड-19 से निपटने के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता प्रदान की थी। लेकिन राज्य सरकार इस राशि का पूरा उपयोग करने में विफल रही। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि कोविड के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने, ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित करने, दवाओं की खरीद, अस्पतालों में संसाधन बढ़ाने और गरीबों को राहत प्रदान करने के लिए केंद्र ने विशेष पैकेज जारी किए थे।
हालांकि, झारखंड सरकार केवल 32% राशि ही खर्च कर पाई। बाकी राशि सरकारी खजाने में पड़ी रही, जबकि महामारी के दौरान अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, आवश्यक दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की भारी कमी देखी गई थी।
स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ा असर
झारखंड में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं की बड़ी कमी देखी गई थी। राज्य के कई अस्पतालों में मरीजों को बेड नहीं मिले, ऑक्सीजन की किल्लत से कई लोगों की जान चली गई और आवश्यक दवाओं की भी भारी कमी थी। ऐसे में, जब सरकार के पास पर्याप्त धनराशि उपलब्ध थी, तब उसका सही तरीके से उपयोग न किया जाना एक गंभीर लापरवाही को दर्शाता है।
CAG रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कई योजनाओं के तहत आवंटित राशि को समय पर खर्च नहीं किया गया। स्वास्थ्य विभाग को निर्देश मिलने के बावजूद पर्याप्त संसाधनों की खरीद नहीं की गई। इससे यह स्पष्ट होता है कि प्रशासनिक लापरवाही और वित्तीय कुप्रबंधन के कारण संकट गहराया।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
CAG रिपोर्ट सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने राज्य सरकार को घेर लिया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने इसे सरकार की नाकामी बताया और मांग की कि इस वित्तीय लापरवाही की उच्चस्तरीय जांच हो। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की निष्क्रियता के कारण हजारों लोगों को अनावश्यक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
वहीं, झारखंड सरकार ने इस रिपोर्ट पर सफाई देते हुए कहा कि कोविड प्रबंधन में कई स्तरों पर चुनौतियाँ थीं, जिनकी वजह से धनराशि का पूरा उपयोग नहीं हो सका। सरकार का कहना है कि भविष्य में ऐसी त्रुटियों को दोहराने से बचने के लिए वित्तीय प्रबंधन को और मजबूत किया जाएगा।
CAG की इस रिपोर्ट ने झारखंड में कोविड-19 के दौरान हुए वित्तीय कुप्रबंधन की ओर इशारा किया है। जब राज्य महामारी से जूझ रहा था, तब उपलब्ध धनराशि का उपयोग न किया जाना सरकार की जवाबदेही पर सवाल उठाता है। यह रिपोर्ट नीति-निर्माताओं के लिए एक चेतावनी है कि आपातकालीन स्थितियों में प्रभावी वित्तीय प्रबंधन और संसाधनों के सही उपयोग की आवश्यकता होती है, ताकि जनता को समय पर राहत मिल सके।
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