कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के बाद उसकी स्मृति में स्थापित की गई मूर्ति ‘क्राई ऑफ द आवर’ ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। मशहूर मूर्तिकार असित सैन द्वारा बनाई गई यह मूर्ति पीड़िता के अंतिम क्षणों की पीड़ा और भय को दर्शाने का प्रयास करती है, जिसमें एक महिला को रोते हुए दिखाया गया है। हालांकि, इस मूर्ति को लेकर सोशल मीडिया पर विरोध तेज हो गया है, इसे भावनात्मक रूप से विचलित करने वाला और अपमानजनक बताया जा रहा है। लोगों का मानना है कि ऐसी मूर्ति पीड़िता के दर्द को बार-बार उजागर करने का प्रतीक बन सकती है, जो उचित नहीं है।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों का कहना है कि मूर्ति लगाने का उद्देश्य किसी नियम का उल्लंघन करना नहीं था, बल्कि यह घटना की भयावहता को उजागर करने और समाज को सतर्क करने के लिए बनाई गई है। डॉक्टरों के अनुसार, यह मूर्ति सिर्फ़ उस दर्द को दिखाने के लिए नहीं है, बल्कि यह एक प्रतीक है कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। इसके बावजूद, विवाद इतना बढ़ गया है कि जूनियर डॉक्टर्स ने मंगलवार, 1 अक्टूबर को फिर से काम बंद कर दिया है। डॉक्टर्स का आरोप है कि ममता बनर्जी सरकार ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के अपने वादों को पूरा नहीं किया है।
इस बीच, कोलकाता में एक दुर्गा पूजा कमेटी ने भी महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की है। बिस्वजीत सरकार द्वारा बनाई गई दुर्गा पूजा थीम ‘लज्जा’ ने महिला उत्पीड़न के विरोध में एक सांकेतिक संदेश दिया है। इस थीम में देवी दुर्गा अपने चेहरे को हाथों से ढके हुए दिखाई गई हैं, और उनके सामने सफेद कपड़े में लिपटी एक महिला का शव पड़ा है। इस चित्रण के माध्यम से महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचारों पर गहरी चिंता जताई गई है। बिस्वजीत सरकार के भाई अभिजीत सरकार की 2021 चुनावों के बाद हुई हिंसा में हत्या कर दी गई थी, और यह थीम समाज में हो रहे अन्याय और अत्याचारों का प्रतीक बन गई है।
कोलकाता में रेप और मर्डर की घटना को लेकर बने इस विवाद और दुर्गा पूजा में महिलाओं के प्रति अत्याचार के विरोध ने शहर का ध्यान महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के मुद्दों पर खींचा है। दोनों घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि समाज में महिलाओं के साथ हो रही बर्बरता को अब और अनदेखा नहीं किया जा सकता।
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