भारत में ‘जुगाड़’ एक ऐसी चीज़ है जो हमें मुश्किल से मुश्किल हालातों में भी हंसने का बहाना दे देती है। चाहे स्कूटर की सीट पर टिके चार लोग हों या पंखे से लटक रही टूटी हुई रस्सी, हम भारतीय कभी हार नहीं मानते। जुगाड़ का मतलब? आप समझ लीजिए कि जब भगवान ने दुनिया बनाई, तो उसके बाद भारतियों ने जुगाड़ बनाकर हर काम का ‘शॉर्टकट’ खोज लिया!
जुगाड़ का सीधा और सरल फॉर्मूला है—“जो है, उसी से काम चला लो।” अब आप सोच रहे होंगे, क्या ये फॉर्मूला काम करता है? जी बिल्कुल करता है! भारतीय वैज्ञानिक दृष्टिकोण के हिसाब से, जब आपकी मम्मी कहें कि “बाज़ार से कुछ नहीं लाना, घर में जो है उससे ही काम चला लो”, वही सबसे बड़ा जुगाड़ है। यह फॉर्मूला हमारे DNA में बसा हुआ है। कह सकते हैं कि जुगाड़, समस्या के लिए ‘इंस्टेंट नूडल्स’ है – बस दो मिनट में तैयार!
गाँव का जुगाड़: ‘देशी इनोवेशन’
भारतीय गाँवों में जुगाड़ का मतलब है कि जो चीज़ आपके पास नहीं है, उसे अपने हिसाब से बना लो। कभी देखा है ‘जुगाड़ गाड़ी’? ट्रैक्टर और मोटरसाइकिल का मिला-जुला रूप, जिसमें आधे गाँव का राशन आ सकता है और शादी में बारात भी। यह गाड़ी कहीं रजिस्टर्ड नहीं होती, पर हर किसान इसे ‘कंपनी’ से ज़्यादा भरोसेमंद मानता है। गांव में जब छोटे बच्चे महंगी खिलौने वाली गाड़ियां के लिए जिद करने लगते हैं तब उन्हें लकड़ी की एकदम हुबहू गाड़ी बनाकर दे दी जाती है। कहीं ना कहीं यह बाजार वाले गाड़ियों से ज्यादा टिकाऊ और आनंददायक भी होता है। अब इसे ही कहते हैं ‘देशी इनोवेशन’!
शहर का जुगाड़: टेक्नोलॉजी से थोड़ा हटके
शहरों में जुगाड़ थोड़ा ‘फैशनेबल’ हो गया है। अब यहां लोग टूटी हुई चीज़ों से नई क्रिएशन करते हैं। जैसे आपका चार्जर खराब हो गया है? कोई बात नहीं, बिजली के तार से थोड़ी छेड़छाड़ करो, और आपका चार्जर फिर से चालू! और जब आपके इंटरनेट की स्पीड धीमी हो जाती है, तो राउटर के आसपास एल्युमिनियम के पन्ने लगाकर ‘टेक्नोलॉजिकल जुगाड़’ करो। यह स्पीड बढ़ाने के साथ-साथ आपको पड़ोसियों का वाई-फाई भी पकड़वा सकता है!
अगर जुगाड़ न होता, तो हमारी आधी समस्याएं हल ही नहीं होतीं। ट्रेन में सीट न मिले तो ‘एडजस्ट हो जाइए’, पंखा ठंडा हवा ना दे तो पानी से कपड़ा भीगा कर पंखे के आगे रख लीजिए—AC का फील आने लगेगा। फैमिली पैक वाला आइसक्रीम का डब्बा खाली हो गया, तो क्या हुआ अब मटर रखने के काम आएगा। जुगाड़ लगाने की होड़ इतनी बढ़ गई है कि महिलाएं भी यूट्यूब पर खाली समय में 5 – मिनट क्राफ्ट वाले वीडियो देख रही है।
जुगाड़ वह भारतीय मानसिकता है जो हमें हर मुश्किल से पार लगाती है। चाहे शादी में कुर्सियां कम पड़ जाएं या घर का टीवी खराब हो जाए, हम कभी हार नहीं मानते। जुगाड़ से न सिर्फ हम समस्या हल करते हैं, बल्कि एक नई कहानी भी तैयार करते हैं। कह सकते हैं कि हमारे जीवन का हर दिन जुगाड़ से शुरू होता है और जुगाड़ पर खत्म होता है। यही तो हमारी ‘जुगाड़ु’ संस्कृति का असली जादू है!
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