भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारतीय सशस्त्र बलों की निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए, खासकर चीन के खिलाफ, 31 प्रीडेटर ड्रोन के लिए ₹34,500 करोड़ के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। समझौते में भारत में एक रखरखाव सुविधा स्थापित करना और यूएवी घटकों के लिए भारत फोर्ज के साथ सहयोग और लड़ाकू ड्रोन विकास के लिए परामर्श शामिल है |
यह घटनाक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन के डेलावेयर में आयोजित क्वाड लीडर्स समिट के मौके पर प्रीडेटर ड्रोन के अधिग्रहण के बारे में बातचीत के एक महीने के अंतरगत सामने आया है। सशस्त्र बलों को बड़ा बढ़ावा देते हुए, भारत ने 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन हासिल करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक डील पर हस्ताक्षर किए हैं। 


इस डील के बाद भारतीय नौसेना के पास अब 15 ड्रोन होगे, जो ‘Seaguardian’ संस्करण होंगे, जबकि सेना और वायु सेना को आठ-आठ ‘Skyguardian’ प्रीडेटर ड्रोन नियमित किए जाएंगे। इस डील की कुल लागत 3B$ है |
UAVs के साथ, इस डील में 170 AGM-114R Hellfire missiles, 16 M36E9 Hellfire training missiles, 310 GBU-39B/B laser-guided Small Diameter Bombs (SDB), और आठ GBU-39B/B LSDB लाइव फ़्यूज़ के साथ निर्देशित परीक्षण वाहन भी शामिल है |उच्च ऊंचाई तथा लंबे समय तक चलने वाले यह ड्रोन 35 घंटे से अधिक समय तक हवा में रहने में सक्षम हैं और चार हेलफायर मिसाइल और लगभग 450 किलोग्राम बम ले जा सकते हैं।सरकार ‘Seaguardian’ ड्रोन इसलिए ख़रीद रही हैं क्योंकि वे समुद्री निगरानी, पनडुब्बी रोधी युद्ध और क्षितिज पर लक्ष्यीकरण सहित कई तरह की भूमिकाएँ निभा सकते हैं |
अमेरिका और भारत के बिच हुए इस डील का उद्देश्य दोनों देश के ब बीच रक्षा की साझेदारी को और भी मजबुत और गहरा बनाना है | साथ ही यह डील Indo-Pacific क्षेत्र में भारत की रक्षा की क्षमतों को बढ़ाने के लिए एक महत्तवपूर्ण कदम साबित होगा |

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