One Nation, One Election Bill: संसद में पेश, विपक्ष का जोरदार विरोध, 20 BJP सांसद गैरहाजिर

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केंद्र सरकार ने मंगलवार को ‘एक देश, एक चुनाव’ (One Nation One Election) की महत्वाकांक्षी पहल को आगे बढ़ाते हुए लोकसभा में इससे जुड़े दो संविधान संशोधन विधेयक पेश किए। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने विधेयकों को पेश करते हुए इसे संविधान के अनुरूप बताया और चुनावी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने का एक ऐतिहासिक कदम करार दिया।

हालांकि, विधेयक सदन में आवश्यक दो-तिहाई बहुमत हासिल करने में विफल रहा। “One Nation One Election bill” के पक्ष में 269 वोट पड़े, जबकि 198 सांसदों ने इसका विरोध किया। इस बीच, भाजपा के 20 से अधिक सांसदों की गैरमौजूदगी ने पार्टी के भीतर हलचल मचा दी है। सरकार ने इन सांसदों को नोटिस जारी करने की तैयारी की है, क्योंकि पार्टी ने पहले ही तीन-पंक्ति का व्हिप जारी कर सभी सांसदों को सदन में उपस्थित रहने का निर्देश दिया था।

One Nation One Election को विपक्ष ने बताया संघवाद पर हमला

इस विधेयक पर विपक्ष ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस, AIMIM, समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने इसे संघीय ढांचे और लोकतंत्र की बुनियादी संरचना पर हमला बताया।

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, “हमारे संविधान की बुनियादी संरचना में संघवाद और लोकतंत्र की विशेष संरचना निहित है। यह विधेयक इन बुनियादी संरचनाओं को चुनौती देता है। यह संसद की विधायी शक्तियों से बाहर है और संविधान पर हमला है।”

AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इस “One Nation One Election Bill” को क्षेत्रीय दलों को समाप्त करने और देश में राष्ट्रपति शासन प्रणाली लाने की साजिश करार दिया। उन्होंने कहा, “यह विधेयक केवल एक पार्टी को अधिकतम राजनीतिक लाभ दिलाने के लिए लाया गया है। यह संविधान की आत्मा के खिलाफ है।”

समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने इसे संविधान की भावना को कमजोर करने वाला कदम बताया। उन्होंने कहा, “यह विधेयक हमारे संविधान निर्माताओं की दूरदृष्टि का अनादर है। इसे लाने का उद्देश्य लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर करना है।”

One Nation One Election Bill

One Nation One Election पर सरकार का पक्ष: लोकतंत्र को मजबूत करने का प्रयास

सरकार ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए इस ‘One Nation One Election bill’ को लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा, “यह विधेयक संविधान के बुनियादी ढांचे के खिलाफ नहीं है। इसके खिलाफ जो भी आपत्तियां उठाई जा रही हैं, वे राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित हैं।”

गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विधेयक को और गहनता से परखने के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यह विधेयक देशहित में है और इसे व्यापक चर्चा और अध्ययन के लिए जेपीसी के पास भेजा जाना चाहिए।”

क्या है One Nation, One Election bill?

‘एक देश, एक चुनाव’ का मुख्य उद्देश्य लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ आयोजित करना है। सरकार का कहना है कि इससे प्रशासनिक खर्च और चुनावी व्यवधानों में कमी आएगी।

लेकिन विपक्ष इसे संघीय ढांचे पर हमला मान रहा है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यह राज्यों की स्वायत्तता को कमजोर करेगा और देश के संघीय ढांचे को तोड़ेगा। वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि यह पहल भारत जैसे विविधता भरे देश में व्यवहारिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकती है।

विधेयक को फिलहाल संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजे जाने की संभावना है, जहां इसे गहन चर्चा और अध्ययन के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। हालांकि, विपक्ष की ओर से इस पर तीखा विरोध जारी है, और इसे लेकर संसद में लंबी बहस की संभावना है।  प्रधानमंत्री मोदी की यह पहल भारतीय राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकती है, लेकिन इसके अमल में आने से पहले इसे कई संवैधानिक, राजनीतिक और तकनीकी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

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