प्रयागराज महाकुंभ: 45 दिनों के आस्था समागम में बने नए रिकॉर्ड और ऐतिहासिक उपलब्धियाँ

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प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में 45 दिनों तक चले महाकुंभ 2025 का समापन भव्यता और नई उपलब्धियों के साथ हुआ। इस महापर्व ने न केवल श्रद्धा और भक्ति की नई ऊंचाइयों को छुआ, बल्कि कई रिकॉर्ड भी स्थापित किए। इस आयोजन ने जहां दुनिया भर से करोड़ों श्रद्धालुओं को आकर्षित किया, वहीं प्रशासन की बेहतर व्यवस्थाओं और डिजिटल तकनीक के व्यापक उपयोग ने इसे ऐतिहासिक बना दिया।

ऐतिहासिक संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन

महाकुंभ 2025 में 45 दिनों के दौरान लगभग 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। यह संख्या अब तक के सभी कुंभ आयोजनों में सबसे अधिक थी। श्रद्धालुओं की भीड़ को संभालने के लिए प्रशासन ने विशेष ट्रैफिक प्लानिंग की, जिससे किसी भी तरह की अव्यवस्था न हो।

विश्व का सबसे बड़ा अस्थायी शहर

महाकुंभ में इस बार 4000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में एक अस्थायी टेंट सिटी बसाई गई, जो विश्व की सबसे बड़ी अस्थायी बस्ती बनी। इस बस्ती में बिजली, पानी, शौचालय, इंटरनेट, और सुरक्षा की अत्याधुनिक व्यवस्थाएँ की गई थीं। इसके अलावा, विभिन्न अखाड़ों और साधु-संतों के लिए अलग-अलग क्षेत्र चिन्हित किए गए थे, जिससे श्रद्धालुओं को दर्शन और प्रवचन का लाभ लेने में कोई कठिनाई न हो।

डिजिटल महाकुंभ: पहली बार हुआ AI और ड्रोन का व्यापक उपयोग

महाकुंभ 2025 को “डिजिटल महाकुंभ” कहा जाए तो गलत नहीं होगा। इस बार पहली बार AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) आधारित भीड़ नियंत्रण प्रणाली लागू की गई, जिससे संगम और विभिन्न घाटों पर उमड़ने वाली भारी भीड़ को प्रभावी तरीके से नियंत्रित किया जा सका। इसके अलावा, ड्रोन सर्विलांस के जरिए सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया गया। घाटों पर लगाई गई फेस रिकग्निशन तकनीक से लापता लोगों को खोजने में भी मदद मिली।

रिकॉर्ड संख्या में साधु-संतों की भागीदारी

इस बार के महाकुंभ में विभिन्न अखाड़ों के लगभग 10 लाख से अधिक साधु-संतों ने भाग लिया। इनमें महामंडलेश्वर, नागा संन्यासी, वैष्णव, शैव, और उर्द्वा व्रतधारी साधु शामिल थे। शाही स्नान के दौरान इन साधुओं की भव्य पेशवाई और उनके अनुष्ठानों ने श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक अनुभूति कराई।

स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण में बना नया रिकॉर्ड

महाकुंभ 2025 को “ग्रीन कुंभ” के रूप में भी प्रचारित किया गया। पूरे मेले में प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया और बायोडिग्रेडेबल सामग्री का उपयोग बढ़ावा दिया गया। स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने 1 लाख से अधिक टॉयलेट और 10 हजार से अधिक डस्टबिन लगाए। इन प्रयासों के चलते प्रयागराज महाकुंभ को विश्व का सबसे स्वच्छ धार्मिक आयोजन घोषित किया गया।

अर्थव्यवस्था को भी मिला बढ़ावा

महाकुंभ के दौरान स्थानीय अर्थव्यवस्था को जबरदस्त बढ़ावा मिला। होटल, धर्मशाला, टूर गाइड, परिवहन, और स्थानीय दुकानदारों की आमदनी में भारी इजाफा देखा गया। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस महाकुंभ के चलते प्रदेश की अर्थव्यवस्था में करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये का योगदान हुआ।

सुरक्षा में हुआ कड़ा इंतजाम

श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 50,000 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। इसके अलावा, विशेष कमांडो यूनिट, एनडीआरएफ, और एटीएस की टीमें भी तैनात की गईं। CCTV कैमरों की मदद से पूरे मेले की निगरानी की गई, जिससे किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।

महाकुंभ 2025: आध्यात्मिकता, तकनीक और व्यवस्था का अद्भुत संगम

45 दिनों तक चले इस महाकुंभ ने न केवल आस्था के प्रति लोगों की अटूट श्रद्धा को दर्शाया, बल्कि आधुनिक तकनीक और प्रशासनिक कुशलता का भी उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया। प्रयागराज महाकुंभ 2025 न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा बना कि कैसे धार्मिक आयोजन को सुव्यवस्थित, स्वच्छ, और सुरक्षित बनाया जा सकता है।

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