Ranchi: पढ़ाई के लिए घर छोड़ने वाले छात्रों के लिए हॉस्टल एक ऐसा स्थान होता है जहां वे अपने भविष्य की नींव रखते हैं। लेकिन अगर उस नींव में ही लापरवाही और अस्वच्छता समा जाए, तो यह न केवल छात्रों के सपनों को धुंधला करता है, बल्कि उनके स्वास्थ्य और विश्वास पर भी गहरा आघात करता है। ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला झारखंड के केंद्रीय विश्वविद्यालय (Central University of Jharkhand) के हॉस्टल मेस से सामने आया है, जहां खाने में चूहे का बच्चा मिलने की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इस घटना ने छात्रों, अभिभावकों और पूरे शैक्षणिक समुदाय को हिला कर रख दिया है।
क्या छात्रों की सेहत का कोई मोल नहीं?
सोमवार रात सीयूजे छात्रवास के मेस के खाने में चूहे का बच्चा मिलने की घटना ने छात्रों के स्वास्थ्य को लेकर एक बड़ी चिंता खड़ी कर दी है। चूहे, जो कई जानलेवा बीमारियों के वाहक माने जाते हैं, का भोजन में पाया जाना बेहद खतरनाक है। प्लेग, लेप्टोस्पायरोसिस, राट फीवर जैसी बीमारियां चूहों के माध्यम से फैल सकती हैं, और दूषित भोजन के कारण फूड प्वाइजनिंग, डायरिया, टाइफाइड जैसी समस्याएं आम हो सकती हैं। छात्रों का कहना है कि वे हर महीने मेस शुल्क अदा करते हैं ताकि उन्हें पौष्टिक और स्वच्छ भोजन मिले, लेकिन इसके बदले उन्हें बीमारी और अस्वच्छता परोसी जा रही है। यह घटना स्पष्ट करती है कि विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों के स्वास्थ्य को लेकर कितना लापरवाह है।
माता-पिता, जो अपने बच्चों को बेहतर भविष्य के सपने के साथ विश्वविद्यालय भेजते हैं, इस घटना से स्तब्ध हैं। अभिभावक न केवल अपने बच्चों की शिक्षा के लिए बल्कि उनके अच्छे स्वास्थ्य और सुरक्षित वातावरण के लिए भी हॉस्टल में उन्हें भेजते हैं। लेकिन अगर खाने में इस स्तर की लापरवाही बरती जा रही है, तो यह छात्रों और उनके अभिभावकों दोनों के विश्वास को तोड़ने जैसा है।
शुद्ध शाकाहारी छात्रों के धार्मिक भावनाओं पर चोट
मेस के खाने में चूहे का बच्चा मिलने की घटना ने विशेष रूप से शाकाहारी छात्रों की धार्मिक भावनाओं को गहरी चोट पहुंचाई है। भारतीय संस्कृति में भोजन को एक पवित्र प्रक्रिया माना जाता है, और शाकाहारी छात्रों के लिए यह किसी भी प्रकार की अशुद्धता से मुक्त होना चाहिए। चूहे जैसे जीवों का भोजन में मिलना उनके लिए न केवल अस्वीकार्य है, बल्कि उनके धार्मिक विश्वासों का भी अपमान है।
शाकाहारी छात्रों का कहना है कि यह घटना उनके धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों का अनादर है। शुद्ध शाकाहारी छात्रों के लिए यह एक मानसिक आघात जैसा है, जो उन्हें अपने खाने की सुरक्षा और गुणवत्ता पर सवाल उठाने के लिए मजबूर कर रहा है।
खाद्य सुरक्षा मानकों की धज्जियां
खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के दिशा-निर्देश स्पष्ट रूप से यह बताते हैं कि भोजन तैयार करने और परोसने वाली जगह को स्वच्छ और कीट-मुक्त रखना अनिवार्य है। मेस में:
1. नियमित कीट नियंत्रण (पेस्ट कंट्रोल) किया जाना चाहिए।
2. भोजन को ढककर और सही तापमान पर रखा जाना चाहिए।
3. रसोईघर में कच्चे माल का उचित निरीक्षण और भंडारण होना चाहिए।
4. सफाई के उच्चतम मानकों का पालन होना चाहिए।
मेस के खाने में चूहे का बच्चा मिलना इन सभी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है। विश्वविद्यालय प्रशासन न तो खाद्य सुरक्षा के मानकों का पालन कर रहा है और न ही छात्रों के स्वास्थ्य को लेकर कोई गंभीरता दिखा रहा है।
छात्र कर रहे विरोध प्रदर्शन
इस घटना से नाराज छात्रों ने केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड के प्रशासनिक भवन के सामने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। छात्रों का कहना है कि यह मामला केवल एक बार की लापरवाही नहीं है, बल्कि मेस की खराब स्वच्छता व्यवस्था का लगातार चलने वाला उदाहरण है। प्रदर्शनकारी छात्रों ने मांग की है कि विश्वविद्यालय प्रशासन तुरंत इस मामले में कार्रवाई करे और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए ठोस कदम उठाए। छात्रों का यह प्रदर्शन विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि अब उनकी चुप्पी और लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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