बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन के भीतर सीट शेयरिंग को लेकर गहरी खींचतान जारी है। पहले चरण के नामांकन की अंतिम तिथि बीत जाने के बावजूद विपक्षी दलों के बीच सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बन सकी है। यह स्थिति चुनावी तैयारियों और जनता के बीच गठबंधन की एकजुटता को लेकर सवाल खड़े कर रही है।
महागठबंधन में शामिल प्रमुख दल — राजद, कांग्रेस, वाम दल और अन्य क्षेत्रीय पार्टियां — अपने-अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में अधिक सीटें चाहती हैं। राजद, जो गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी है, 150 से अधिक सीटों की मांग पर अड़ी है, जबकि कांग्रेस और वाम दल इसका विरोध कर रहे हैं। इस आपसी असहमति के चलते कई सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा में देरी हो रही है, जिससे कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर समय रहते समझौता नहीं हुआ, तो इसका सीधा असर महागठबंधन के मतदाताओं पर पड़ेगा और एनडीए को इसका फायदा मिल सकता है। हालांकि, कुछ नेताओं का कहना है कि अंतिम समय में समाधान निकल आएगा क्योंकि सभी दल जानते हैं कि बिखराव विपक्ष के लिए नुकसानदायक साबित होगा।
अब देखना यह होगा कि क्या सीटों की यह रस्साकशी गठबंधन को कमजोर करेगी या फिर चुनावी मजबूरी में सभी दल मिलकर एक बार फिर एकजुट हो जाएंगे।
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