बिहार की सियासत में तेजस्वी यादव का यह वादा कि “हर घर में एक सरकारी नौकरी दी जाएगी” निश्चित रूप से चुनावी माहौल को गर्मा देगा। रोजगार का मुद्दा बिहार में हमेशा से ही सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा रहा है, क्योंकि राज्य में बेरोजगारी की दर लंबे समय से राष्ट्रीय औसत से अधिक रही है। तेजस्वी यादव पहले भी 10 लाख सरकारी नौकरियों का वादा कर चुके हैं और इस बार “हर घर को एक नौकरी” की बात कहकर उन्होंने युवाओं के बीच फिर से उम्मीद जगाने की कोशिश की है।
हालांकि, इस घोषणा को लेकर लोगों की राय बंटी हुई है। कुछ लोग मानते हैं कि अगर इंडिया गठबंधन सत्ता में आता है तो युवाओं के लिए नए अवसर खुल सकते हैं और राज्य में रोजगार के नए रास्ते बन सकते हैं। वहीं, विरोधी दल इस वादे को अव्यवहारिक बताते हैं और कहते हैं कि यह सिर्फ एक चुनावी ‘जुमला’ है, जिसे पूरा करना आर्थिक रूप से संभव नहीं है।
वास्तविकता यह है कि बिहार की आर्थिक स्थिति और सीमित राजस्व संसाधन ऐसे वादों को पूरा करने में बड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं। फिर भी, युवाओं में तेजस्वी की लोकप्रियता और उनका “नौकरी” पर केंद्रित एजेंडा विपक्ष को मजबूत कर सकता है।
अब देखना यह होगा कि जनता इस घोषणा को कितनी गंभीरता से लेती है और क्या यह वादा उन्हें NDA के खिलाफ मतदान करने के लिए प्रेरित कर पाएगा। फिलहाल, बिहार की राजनीति में यह बयान चर्चा का केंद्र बन चुका है।
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