रांची: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मंगलवार को मदरसा शिक्षा को लेकर भाजपा विधायक सीपी सिंह और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री इरफान अंसारी के बीच तीखी बहस हो गई। मदरसों को मिलने वाले सरकारी अनुदान और उनकी शिक्षा प्रणाली को लेकर दोनों नेताओं ने एक-दूसरे पर जमकर शब्दों के तीर चलाए, जिससे सदन का माहौल गरमा गया।
मुद्दे की शुरुआत कैसे हुई?
विधानसभा में चर्चा के दौरान सीपी सिंह ने सरकार से पूछा कि झारखंड में चल रहे मदरसों को कितनी वित्तीय सहायता दी जा रही है और वहां कैसी शिक्षा दी जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार सिर्फ एक समुदाय की शिक्षा व्यवस्था को बढ़ावा दे रही है, जबकि बाकी शैक्षणिक संस्थानों की अनदेखी हो रही है।
उन्होंने कहा, “अगर मदरसों को अनुदान दिया जा रहा है, तो क्या गुरुकुल और दूसरे धार्मिक शिक्षण संस्थानों को भी यही सुविधा मिलेगी?” उनका कहना था कि शिक्षा नीति सभी के लिए समान होनी चाहिए, न कि किसी विशेष वर्ग तक सीमित।
मंत्री इरफान अंसारी का जवाब
सीपी सिंह के सवालों पर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री इरफान अंसारी ने तीखा जवाब दिया। उन्होंने कहा, “मदरसों में सिर्फ धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाती, बल्कि मुख्यधारा की पढ़ाई भी होती है। भाजपा हमेशा अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर सवाल उठाकर राजनीति करती है।”
मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के समय भी मदरसों को अनुदान मिलता था, लेकिन तब इस पर कोई आपत्ति नहीं थी। उन्होंने कहा, “अब जब हमारी सरकार वही कर रही है, तो भाजपा को दिक्कत हो रही है।”
सदन में हंगामा, स्पीकर को करना पड़ा हस्तक्षेप
इस मुद्दे पर बहस इतनी गरम हो गई कि सदन में हंगामा शुरू हो गया। भाजपा विधायकों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की, जबकि मंत्री इरफान अंसारी अपने बयान पर अड़े रहे। स्थिति को संभालने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को हस्तक्षेप करना पड़ा और उन्होंने दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की।
झारखंड विधानसभा में मदरसा शिक्षा को लेकर शुरू हुई यह बहस अब राजनीतिक मुद्दा बन चुकी है। भाजपा इसे भेदभाव बता रही है, तो सरकार इसे अल्पसंख्यक शिक्षा को बढ़ावा देने वाला कदम कह रही है। अब देखना होगा कि इस विवाद का कोई ठोस समाधान निकलता है या यह सिर्फ राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप बनकर रह जाता है।