सोमवार को लोकसभा में बजट पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के भाषण से चार शब्द हटा दिए गए। यह घटना उनके नेता प्रतिपक्ष के तौर पर संसद में दिए गए दूसरे भाषण में हुई है। इससे पहले, 1 जुलाई को दिए गए उनके पहले भाषण के भी कई हिस्से रिकॉर्ड से हटा दिए गए थे। इस प्रकार, उनके दूसरे भाषण ने भी विवाद को जन्म दे दिया है।
भाषण से हटाए गए शब्द
राहुल गांधी के भाषण से जिन शब्दों को हटाया गया है, उनमें मोहन भागवत, अजित डोभाल, अंबानी और अडानी शामिल हैं। राहुल गांधी ने अपने 45 मिनट के भाषण में इन चारों का नाम लिया था, जिस पर स्पीकर ओम बिरला ने आपत्ति जताई थी।
‘चक्रव्यूह’ का जिक्र
राहुल गांधी के भाषण का केंद्र ‘चक्रव्यूह’ था। उन्होंने महाभारत युद्ध की चक्रव्यूह संरचना का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें डर और हिंसा होती है और अभिमन्यु को फंसाकर छह लोगों ने मारा था। राहुल गांधी ने चक्रव्यूह को पद्मव्यूह बताते हुए कहा कि यह एक उल्टे कमल की तरह होता है।
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि एक नया चक्रव्यूह तैयार हुआ है, जो लोटस की शेप में है और जिसे प्रधानमंत्री मोदी छाती पर लगाकर घूमते हैं। उन्होंने कहा कि आज भी चक्रव्यूह के बीच में 6 लोग हैं जो कंट्रोल कर रहे हैं, जैसे महाभारत के समय 6 लोग कंट्रोल करते थे।

लोकसभा स्पीकर की आपत्ति
इस बयान पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राहुल गांधी को टोकते हुए याद दिलाया कि जो शख्स इस सदन का सदस्य नहीं है, उसका नाम न लिया जाए। इस पर राहुल गांधी ने कहा कि अगर स्पीकर चाहते हैं कि वे अजित डोभाल, अडानी और अंबानी का नाम न लें तो वे नहीं लेंगे।
नाराजगी और चिट्ठी
भाषण के अंश हटाने के बाद राहुल गांधी ने अपनी नाराजगी जाहिर की और लोकसभा स्पीकर को चिट्ठी लिखी। उन्होंने चिट्ठी में लिखा कि वे यह देखकर स्तब्ध हैं कि किस तरह उनके भाषण के एक बड़े हिस्से को कार्यवाही से निकाल दिया गया और उसे अंश की आड़ में हटा दिया गया। राहुल ने यह भी दावा किया कि हटाए गए अंश नियम 380 के दायरे में नहीं आते।
राहुल गांधी के दोनों भाषणों में हुए इन घटनाओं ने न केवल संसद में बल्कि राजनीतिक हलकों में भी चर्चा का विषय बना दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे चलकर इस विवाद का क्या परिणाम निकलता है और राहुल गांधी किस तरह से इस मुद्दे को उठाते हैं।





