एशिया के सबसे बड़े ट्यूलिप गार्डन ने एक बार फिर रंगों की बारिश के साथ पर्यटकों को अपना दीवाना बना लिया है। 26 मार्च को जनता के लिए खोले गए इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डन में महज 10 दिन के भीतर 2.5 लाख से अधिक सैलानियों ने शिरकत की है। यह संख्या अब तक के किसी भी शुरुआती 10 दिनों की तुलना में सबसे अधिक है, जिससे इस साल एक नया रिकॉर्ड बनने की पूरी उम्मीद है।
ज़बरवन की पहाड़ियों की तलहटी में बसे इस बागान की खूबसूरती इन दिनों अपने चरम पर है। कश्मीर घाटी में वसंत ऋतु की दस्तक के साथ ही गार्डन में 74 प्रजातियों की ट्यूलिप्स ने रंग बिखेर दिए हैं। इनमें स्ट्रांग गोल्ड, रेड अपील, कैंडलाइट, मून ब्लश, आईफ़िल टावर और पिंक प्रिंस जैसी विदेशी किस्में भी शामिल हैं। इसके अलावा डैफोडिल्स, हायसिन्थ्स और साइक्लेमन जैसे अन्य वसंत पुष्प भी पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं।
हर साल बढ़ रहा है आकर्षण
पिछले साल 2024 में इस ट्यूलिप गार्डन में कुल 4.65 लाख पर्यटक आए थे। लेकिन इस बार शुरुआती आंकड़े ही यह संकेत दे रहे हैं कि 2025 में यह संख्या 5 लाख से अधिक पार कर सकती है। जम्मू-कश्मीर बागवानी विभाग का मानना है कि इस साल मौसम काफी अनुकूल है, जिससे फूलों की बहार 30 दिन तक बनी रह सकती है।
घाटी में बहार, कारोबार में रफ़्तार
पर्यटन की इस बहार ने सिर्फ गार्डन को नहीं, बल्कि पूरे श्रीनगर शहर को चहकने का मौका दिया है। होटलों में बुकिंग फुल हैं, टैक्सियों की मांग बढ़ी है और स्थानीय हस्तशिल्प की दुकानों पर भी रौनक लौट आई है। घाटी के व्यापारियों और युवा उद्यमियों को इससे बड़ी राहत मिली है। पर्यटकों के लिए यह गार्डन किसी स्वप्नलोक से कम नहीं। रंग-बिरंगे फूलों की कतारें, सामने झील की नर्म हवाएं और पीछे बर्फ से ढकी ज़बरवन की पहाड़ियाँ — यह दृश्य सबको आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा।
फ्लोरीकल्चर विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, ट्यूलिप गार्डन अब केवल एक बग़ीचा नहीं रहा, यह कश्मीर के शांत और खूबसूरत भविष्य की उम्मीद बन चुका है। हर साल इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है और यह घाटी में अमन, पर्यटन और रोजगार के लिए नई राहें खोल रहा है।
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