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अखिलेश यादव ने बांग्लादेश के मुद्दे पर रखी अपनी राय

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अखिलेश यादव ने बांग्लादेश में चल रही घटना पर अपनी राय रखी है। हालांकि, उन्होंने(अखिलेश)  लोक सभा में भी अपना पक्ष रखा था। बांग्लादेश में कुछ दिन पहले ही अंतरिम सरकार स्थापित हुई है।

बांग्लादेश के मुद्दे पर अपनी राय रखी

अखिलेश यादव ने एक्स पर ट्वीट कर लिखा कि “विश्व इतिहास गवाह है कि विभिन्न देशों में सत्ता के ख़िलाफ़, उस समय की कसौटी पर, सही-गलत कारणों से हिंसक जन क्रांतियाँ, सैन्य तख़्तापलट, सत्ता-विरोधी आंदोलन विभिन्न कारणों से होते रहे हैं। ऐसे में उस देश का ही पुनरुत्थान हुआ है, जिसके समाज ने अपने सत्ता-शून्यता के उस उथल-पुथल भरे समय में भी अपने देशवासियों की जान-माल व मान की रक्षा करने में जन्म, धर्म, विचारधारा, संख्या की बहुलता-अल्पता या किसी अन्य राजनीतिक विद्वेष या नकारात्मक, संकीर्ण सोच के आधार पर भेदभाव न करके सकारात्मक-बड़ी सोच के साथ सबको एक-समान समझा और संरक्षित किया है। देश और देशवासियों की रक्षा करना हर देश का कर्तव्य होता है। सकारात्मक मानवीय सोच के आधार पर, एक व्यक्ति के रूप में हर निवासी-पड़ोसी की रक्षा करना भी हर सभ्य समाज का मानवीय-दायित्व होता है, फिर वह चाहे किसी काल-स्थान-परिस्थिति में कहीं पर भी हो।”

उन्होंने यह भी लिखा कि “विशेष रूप से रेखांकित करने की एक बात इतिहास ये भी सिखाता है कि किसी और देश के राजनीतिक हालातों का इस्तेमाल जो सत्ता अपने देश में अंदर, अपनी सियासी मंसूबों को पूरा करने के लिए करती है, वो देश को आंतरिक और बाह्य दोनों स्तर पर कमज़ोर करती है। कई बार किसी देश के आंतरिक मामलों से प्रभावित होने वाले, किसी अन्य देश द्वारा एकल स्तर पर हस्तक्षेप करना वैश्विक राजनयिक मानकों पर उचित नहीं माना जाता है, परंतु ऐसे में उस प्रभावित देश और उसके अपने सांस्कृतिक रूप से संबंधित व्यक्तियों की चतुर्दिक रक्षा के लिए, उस देश को अपनी मूक विदेश नीति को सक्रिय करते हुए, विश्व बिरादरी के साथ मिलकर साहसपूर्ण सकारात्मक मुखर पहल करनी चाहिए, जिससे सार्थक समाधान निकल सके। जो सरकार ऐसे में मूक-दर्शक बनी रहेगी, वो ये मानकर चले कि ये उसकी विदेश नीति की नाकामी है कि उसके सभी दिशाओं के निकटस्थ देशों में परिस्थितियाँ न तो सामान्य हैं और न उसके अनुकूल। इसका मतलब है कि ‘भू-राजनीतिक’ नज़रिये से उसकी विदेश नीति में कहीं कोई भारी चूक हुई है। सांस्कृतिक-निकटस्थता के सूत्र से एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र को बांधकर आपसी समझबूझ और भाईचारे से ही विश्व के विभिन्न अशांत भू-खंडों में अमन-चैन लाया जा सकता है।”

केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले ही बांग्लादेश में चल रहे विरोध प्रदर्श को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। जिसमे राहुल गांधी भी शामिल हुए थे। उन्होंने सरकार से काफी सवाल किए थे और अपने सुझावों को सरकार के समक्ष रखा था।

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