Avadh Ojha (अवध ओझा) , जिन्हें “ओझा सर” के नाम से जाना जाता है, भारतीय शिक्षा जगत के एक अद्वितीय नाम हैं। यूपीएससी तैयारी में क्रांति लाने वाले इस शिक्षक ने हाल ही में राजनीति में कदम रखा है। उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में एक साधारण किसान परिवार में जन्मे ओझा का जीवन शुरुआत से ही संघर्षों से भरा रहा। सीमित संसाधनों और आर्थिक बाधाओं के बावजूद, उन्होंने शिक्षा को अपनी प्राथमिकता बनाया। उनकी शुरुआती पढ़ाई गाँव में हुई, जिसके बाद पटना विश्वविद्यालय से गणित में स्नातक और परास्नातक की डिग्री हासिल की।
छात्र जीवन में ही सिविल सेवा में जाने का सपना ओझा (Avadh Ojha) ने देखा था। प्रयागराज में यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के दौरान उन्होंने कई बार परीक्षा दी, लेकिन अंतिम सूची में स्थान नहीं बना सके। यह असफलता उनके लिए एक सबक थी, जिसने उन्हें एक नया रास्ता खोजने पर मजबूर किया। अपनी तैयारी के दौरान प्राप्त गहन ज्ञान और रणनीतियों को साझा करने के उद्देश्य से उन्होंने शिक्षण को अपना करियर चुना।
शैक्षणिक यात्रा से राजनीति तक का सफर
उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले से ताल्लुक रखने वाले ओझा ने पटना यूनिवर्सिटी से गणित में स्नातक और परास्नातक किया। IAS बनने का सपना लेकर उन्होंने कई बार UPSC परीक्षा दी, लेकिन सफल नहीं हो सके। इसके बाद उन्होंने (Avadh Ojha) 2005 में पढ़ाने की शुरुआत की और अपने अनुभवों को छात्रों तक पहुंचाया। 2019 में उन्होंने पुणे में IQRA IAS Academy की स्थापना की, जो छात्रों को किफायती शिक्षा प्रदान करने के लिए जानी जाती है।
Avadh Ojha: राजनीति में कदम क्यों?
AAP में शामिल होने के दौरान ओझा ने कहा, “शिक्षा हर समाज और राष्ट्र की आत्मा होती है। मैं शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक सुधार लाना चाहता हूं।” उनके इस बयान को पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने समर्थन दिया और कहा कि ओझा का अनुभव AAP की शिक्षा नीति को और मजबूती देगा।
केजरीवाल ने कहा, “ओझा सर ने UPSC उम्मीदवारों के लिए जिस समर्पण से काम किया है, वही ऊर्जा राजनीति में भी दिखाई देगी। शिक्षा में सुधार हमारा प्राथमिक एजेंडा है, और ओझा सर इसमें अहम भूमिका निभाएंगे।”
चुनाव लड़ने की है संभावना
खबर है कि ओझा को दिल्ली के किसी प्रमुख क्षेत्र से चुनाव लड़ाया जा सकता है। हालांकि, उनके राजनीति में आने के फैसले पर विवाद भी उठे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दिए एक बयान में कहा था कि संविधान को बदलकर ‘मोदी राजवंश’ स्थापित करना चाहिए, जिसके बाद उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
भविष्य की ओर देखती राजनीति
ओझा (Avadh Ojha) की एंट्री राजनीति और शिक्षा के मेल का अनूठा उदाहरण है। उनकी लोकप्रियता, ऑनलाइन फॉलोअर्स, और विशिष्ट शिक्षण शैली AAP के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राजनीति में उनकी यह नई भूमिका उनके और देश के लिए क्या बदलाव लाती है।
इस नई यात्रा में ओझा के कदम से शिक्षा और राजनीति के बीच एक नई दिशा की शुरुआत हो सकती है।
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