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NEET UG परीक्षा की मान्यता पर चुनौतियाँ, सुप्रीम कोर्ट की भूमिका और गुजरात के उम्मीदवारों की याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने दिया यह फैसला

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NEET- UG को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। इनमें परीक्षा को रद्द करने, राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को पुन: परीक्षा आयोजित करने और परीक्षा में कथित ‘अनियमितताओं’ की कोर्ट-निगरानी जांच की मांग की गई है।

याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि परीक्षा में व्यापक पैमाने पर अनियमितताएं हुई हैं, जिससे परीक्षा की प्रामाणिकता पर सवाल उठे हैं। उन्होंने दावा किया है कि परीक्षा में धांधली और अन्य गड़बड़ियों के कारण छात्रों का भविष्य प्रभावित हो रहा है। याचिकाओं में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट एनटीए को निर्देश दे कि वह परीक्षा को रद्द करे और जल्द से जल्द पुन: परीक्षा आयोजित करे। इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि कथित अनियमितताओं की एक स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की जाए, जिसकी निगरानी स्वयं अदालत करे।

इसके अलावा, गुजरात के 50 से अधिक सफल उम्मीदवारों ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें एनटीए को परीक्षा रद्द करने से रोकने की मांग की गई है। इन उम्मीदवारों का कहना है कि उन्होंने एनईईटी-यूजी में अच्छे अंक प्राप्त किए हैं और परीक्षा को रद्द करने का कोई तार्किक आधार नहीं है। वे चाहते हैं कि उनके परिणामों को मान्यता दी जाए और उनकी काउंसलिंग प्रक्रिया सुचारू रूप से चल सके।

सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए एनटीए से इस मामले पर अपना पक्ष रखने को कहा है। कोर्ट ने एनटीए से यह भी स्पष्ट करने को कहा है कि परीक्षा में अनियमितताओं के आरोपों की सत्यता क्या है और उनके खिलाफ अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।

यह मामला अब न्यायालय के अगले आदेश की प्रतीक्षा में है, जो उम्मीदवारों के भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो सकता है। इस बीच, छात्रों और उनके परिजनों में इस मुद्दे को लेकर गहरी चिंता और बेचैनी है।


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