झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन के दिल्ली आगमन ने राजनीतिक हलकों में एक नई हलचल पैदा कर दी है। वर्तमान में झारखंड में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और ऐसे समय में चंपई सोरेन की दिल्ली यात्रा को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। कई राजनीतिक विशेषज्ञ और मीडिया रिपोर्ट्स ने उनके बीजेपी में शामिल होने की संभावना पर सवाल उठाए हैं, जिससे राज्य की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर होने की उम्मीद जताई जा रही है।
चंपई सोरेन का बयान
हालांकि, चंपई सोरेन ने इन अटकलों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि उनका दिल्ली दौरा पूरी तरह से निजी कार्यों के लिए है। उन्होंने कहा, “मैं यहां अपने निजी काम के लिए आया हूं। अभी हम जहां हैं, वहीं पर हैं।” इस बयान से उन्होंने साफ कर दिया कि फिलहाल उनका झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़ने का कोई इरादा नहीं है, और वे अपने वर्तमान राजनीतिक पथ पर कायम हैं।
चंपई सोरेन का दिल्ली आगमन ऐसे समय पर हुआ है जब झारखंड में राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। राज्य में विधानसभा चुनावों की तैयारी जोरों पर है, और सभी प्रमुख दलों के नेता अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटे हुए हैं। इस संदर्भ में, चंपई सोरेन जैसे वरिष्ठ नेता का दिल्ली दौरा कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जा रहा था। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था कि सोरेन का दिल्ली दौरा भाजपा के शीर्ष नेताओं से मुलाकात और संभावित राजनीतिक गठजोड़ का हिस्सा हो सकता है।
चंपई सोरेन के राजनीतिक करियर की बात करें तो, वे झारखंड की राजनीति के एक प्रमुख चेहरा रहे हैं। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं और राज्य के आदिवासी और पिछड़े वर्गों के बीच अपनी गहरी पैठ बनाई है। उनके दिल्ली आगमन के साथ ही यह भी अटकलें लगाई जा रही थीं कि वे बीजेपी में शामिल होकर अपने राजनीतिक करियर को नए आयाम देने की योजना बना रहे हैं। लेकिन सोरेन ने इन अटकलों को पूरी तरह से निराधार बताया और जोर देकर कहा कि उनकी प्राथमिकता अभी भी झारखंड मुक्ति मोर्चा और राज्य की जनता के हित में कार्य करना है।
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