झारखंड की राजनीति में चंपई सोरेन का नया अध्याय: दोस्ती से दुश्मनी तक का सफर

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चंपई सोरेन, झारखंड की राजनीति के ‘कोल्हान टाइगर’, जिनकी दहाड़ कभी पूरे राज्य में गूंजती थी, आज उसी जंगल में खो गए हैं जहां उनके अपने ही रास्ते बदल गए हैं।


हेमंत सोरेन से गठबंधन की रस्सी छोड़ चुके चंपई, अब राजनीतिक मझधार में बहते दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने ‘अपनों’ से किनारा किया, लेकिन ‘दुश्मनों’ की कतार में भी अभी उनका नाम दर्ज नहीं हुआ है।

यह कहानी सिर्फ एक राजनीतिक उठापटक की नहीं, बल्कि उस टाइगर की है जिसने अपनी ताकत पर भरोसा किया, लेकिन अब उसे नए शिकार की तलाश है।

चंपई सोरेन की यह सियासी फिल्म किसी थ्रिलर स्टोरी से कम नहीं है—वह ‘हीरो’ जिसने अपने ही बनाए खेमे को अलविदा कह दिया, लेकिन अब किसी नए मंच की तलाश में है। ऐसा क्या हुआ की मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद चंपई ने खुद की अलग पार्टी बनाने का फैसला कर लिया। क्यों सालों से पार्टी का अहम हिस्सा बने रहे चंपई ने पार्टी से बगावत करने की सोची?

चंपई का राजनीतिक सफर

चंपई सोरेन ने अपना राजनीतिक कैरियर सन् 1991 में बिहार के सरायकेला से विधानसभा चुनाव जीत कर किया था। झारखंड बनने से पहले बिहार में हुए आखिरी चुनाव में भी चंपई सोरेन ने सरायकेला से चुनाव जीता। सोरेन 7 बार विधायक रह चुके हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा में जुड़ने से पहले चंपई स्वतंत्र विधायक के रूप में जनता की सेवा करते थे। झारखंड को अलग राज्य बनाने के समय चंपई ने जेएमएम का दामन थामने का निर्णय लिया था। सरायकेला विधानसभा सीट से वह 2005 से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं।


2019 में झारखंड में चुनाव जीत कर जेएमएम ने इन्हे राज्य में कैबिनेट पद संभालने की जिम्मेदारी भी दी। चंपई सोरेन को परिवहन, अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री की जिम्मेदारी दी गई थी। झारखंड को अलग राज्य बनाने में चंपई सोरेन ने भी एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। जिसकी वजह से उन्हें झारखंड के टाइगर के नाम से भी जाना जाता है।

परिवर्तन निर्देशालय द्वारा हेमंत सोरेन के गिरफ्तारी के बाद 2 फरवरी 2024 को चंपई सोरेन ने  झारखंड के 7वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उन्होंने 5 महीनों के लिए मुख्यमंत्री पद संभाला। हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने के बाद 3 जुलाई 2024 को उन्होंने मुख्यमंत्री पद से स्टीफा दे दिया।

पद से हटाए जाने पर जताई थी नाराज़गी

मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद चंपई पार्टी से काफी नाराज़ चल रहे थे। हेमंत सोरेन के बेल पर बाहर आने के बाद उन्हे मुख्यमंत्री पद से हटाकर वापस हेमंत सोरेन को राज्य का कार्यभार सौंप दिया गया था। चंपई सोरेन ने एक्स पर पोस्ट कर कहा था कि उन्हे काफी बुरा लगा था जब उनके मुख्यमंत्री रहते हुए किसी और व्यक्ति के द्वारा उसके होने वाले प्रोग्राम रद्द कर दिए जा रहा था। पार्टी की हुई बैठक में उन्हे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने को कहा गया था। जिसके तुरंत बाद ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। हेमंत के बाहर आने के बाद उन्हे जैसे साइड ही कर दिया गया था।

भाजपा में शामिल होने की आ रही थी खबरें

कई दिनों से यह अटकलें लगाई जा रही थी कि चंपई सोरेन बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, यह खबर फैलने पर चंपई ने भी इस पर बात करते हुए कहा था कि ‘मैं जहां हूं वही रहूंगा।’ उन्होंने कुछ दिन पहले दिल्ली का भी दौरा किया था। जिसपर आशंका जताई जा रही थी कि वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं।

हेमंत ने भी दिया था जवाब

चंपई सोरेन के बगावत की खबरों पर हेमंत सोरेन ने भी अपना बयान दिया था। उन्होंने जनता को संबोधित करने के दौरान कहा था कि “ये लोग घर भी फोड़ देते हैं और पार्टी तोड़ने का काम करते हैं। आए दिन विधायकों को खरीदते रहते हैं। पैसा ऐसी चीज ही है कि नेता लोग बिना कुछ सोचे समझे पार्टी बदल लेते हैं।”

खुद की पार्टी बनाने का लिया निर्णय

हालांकि, आज चंपई सोरेन ने सभी खबरों पर विराम लगा दिया है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर अपनी नई पार्टी बनाने का फैसला किया अपने समथकों के साथ साझा किया।  इस पर आगे बात करते हुए चंपई ने कहा कि उन्होंने जनता को तीन विकल्प बताए थे। जिसमे रिटायरमेंट, नई पार्टी और गठबंधन बनाने का विकल्प था। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया हैं कि सही साथी मिलने पर उसका साथ दे सके हैं।

खैर अब देखना यह है कि चंपई सोरेन की पार्टी हेमंत की बनी बनाई पार्टी का मुकाबला कर अपना वर्चस्व स्थापित कर पाती है या नही।


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