कॉलेज की क्लासरूम में शिक्षक का न होना कुछ अलग ही तरह का माहौल पैदा कर देता है। स्कूल के दिनों में जो शरारतें छिप-छिपाकर होती थीं, वे कॉलेज में खुलेआम होती हैं, और ये शरारतें थोड़ी और दिलचस्प और मजेदार हो जाती हैं। जैसे ही शिक्षक क्लास से बाहर निकलते हैं, ऐसा लगता है कि पूरे क्लास की सांसें एकदम से आज़ाद हो गई हों। हर छात्र के चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान फैल जाती है, और फिर शुरू होता है असली खेल!
सबसे पहले वे बच्चे उठ खड़े होते हैं, जो हमेशा “कूल डूड” बनने की कोशिश में रहते हैं। वे अपनी कुर्सी छोड़कर घूमने लगते हैं, मानो क्लासरूम उनका साम्राज्य हो। कोई बोर्ड पर जाकर अजीब-सी रेखाएं खींचने लगता है, तो कोई बातों का पिटारा खोल कर बैठ जाता है, और जो सबसे बड़ा कलाकार होता है, वह टीचर की कुर्सी पर बैठकर उनकी नकल उतारता है, “अच्छा, क्लास, आज हम एक इंपॉर्टेंट टॉपिक कवर करेंगे!” उसकी नकली गंभीर आवाज़ सुनकर पूरी क्लास ठहाके मारकर हंस पड़ती है।
उसके बाद जिस चीज़ पर कब्जा होता है, वह है स्मार्ट बोर्ड। कुछ छात्र तुरंत उठकर बोर्ड की तरफ दौड़ पड़ते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि अब समय आ गया है “DJ क्लासरूम” का। कौन सा गाना चलेगा, यह बहस तो शुरू होती ही है, लेकिन अंत में हर कोई उस गाने पर राज़ी हो जाता है जो सबसे ज़्यादा धूम मचाने वाला हो। संगीत के साथ-साथ खाने-पीने का महोत्सव भी चलता रहता है।
क्लास के कुछ छात्र ऐसे होते हैं जो हर क्लास के बाद पानी पीने के बहाने क्लास से बाहर जाना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं। चाहे प्यास हो या न हो, जैसे ही शिक्षक क्लास से बाहर जाते हैं, ये छात्र भी पानी की तलाश में निकल पड़ते हैं। अगर क्लास में वापस आने की बात करें, तो कभी-कभी ये छात्र इतने विलंब से आते हैं कि अगला पीरियड भी आधा बीत चुका होता है। क्लास के बीच में एक और कैटेगरी के छात्र होते हैं, जो पढ़ाई की परवाह कम करते हैं, लेकिन स्मार्ट फोन की स्क्रीन पर निगाहें ज्यादा टिकाए रखते हैं। ये तुरंत मोबाइल में इंस्टाग्राम खोल लेते है।
क्लास का जासूस—टीचर आने की आहट
हर क्लास में एक-दो छात्र ऐसे जरूर होते हैं, जिन्हें शिक्षक के आने की आहट पहले से ही हो जाती है। इन्हें “क्लास का जासूस” कहा जा सकता है। दरवाजे के पास बैठने वाले ये छात्र बड़े ध्यान से शिक्षक के कदमों की आहट सुनते हैं और बाकी क्लास को तुरंत सतर्क कर देते हैं। “टीचर आ रहे हैं!”—इस आवाज़ के साथ ही क्लास में हरकत तेज़ हो जाती है। हर छात्र तुरंत अपनी सीट पर लौट आता है, स्मार्ट बोर्ड की आवाज बंद हो जाती है, फोन छिपा दिए जाते हैं, और जो सो रहे थे, वे भी चौंककर जाग जाते हैं। जैसे ही शिक्षक क्लास में वापस कदम रखते हैं, हर कोई मासूमियत से किताबों में डूबा नजर आता है, मानो यह मस्ती का नाटक कुछ पलों पहले हुआ ही न हो।
जब शिक्षक क्लास में नहीं होते, तो कॉलेज क्लासरूम का नज़ारा पूरी तरह से बदल जाता है। यह वह समय होता है, जब छात्रों की असली रचनात्मकता और मस्ती सामने आती है। इन छोटे-छोटे मजेदार पलों में ही कॉलेज की असली यादें बनती हैं। और यही वे लम्हे हैं, जो किसी भी छात्र के कॉलेज जीवन को हमेशा के लिए खास बना देते