इंफोसिस पर लगाया गया 32400 करोड़ टैक्स चोरी का इल्जाम। बताया जा रहा है कि इंफोसिस ने जुलाई 2017 से 2022 तक जीएसटी चोरी की। इसी कारण इंफोसिस को जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) की जांच के दायरे में लिया गया है।


इंफोसिस ने सभी आरोपों का विरोध करते हुए  कहा कि हम स्वीकार करते हैं कि हमें डीजीजीआई के द्वारा नोटिस दिया गया था। ” कंपनी नियमों के अनुसार काम कर रही है और नियम के अनुसार इन सब खर्च पर जीएसटी लागू नहीं है।इंफोसिस ने अपने सभी जीएसटी बकाया का भुगतान कर दिया है और इस मामले में केंद्र और राज्य के नियमों का पूरी तरह से अनुपालन कर रही है।”


डीजीजीआई ने रिपोर्ट में कहा कि “कंपनी भारत से निर्यात चालान के हिस्से के रूप में विदेशी शाखाओं पर किए गए खर्च को शामिल कर रही थी और उक्त निर्यात मूल्यों के आधार पर पात्र रिफंड की गणना कर रही थी। निर्यात आय की रसीद और परियोजना से संबंधित निर्यात चालान कंपनी द्वारा तैयार किए जा रहे थे।”
इस मामले पर जांच की जा रही है। इंफोसिस का कहना है कि उन्होंने जीएसटी के अधिकारियों के सारे सवालों का जवाब दे दिया है।

आयकर विभाग ने एक्स पर ट्वीट कर कहा कि “अब तक (31 जुलाई) 7 करोड़ से ज़्यादा आईटीआर दाखिल किए जा चुके हैं, जिनमें से आज शाम 7 बजे तक 50 लाख से ज़्यादा   आईटीआर दाखिल किए जा चुके हैं।करदाताओं को आईटीआर दाखिल करने, कर भुगतान और अन्य संबंधित सेवाओं में सहायता करने के लिए, हमारा हेल्पडेस्क 24×7 आधार पर काम कर रहा है। हम उन सभी लोगों से आग्रह करते हैं जिन्होंने AY 2024-25 के लिए आईटीआर दाखिल नहीं किया है, वे अपना आईटीआर दाखिल करें।”


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