वक्फ कानूनों में संशोधन के पीछे सरकार की वक्फ भूमि को हड़पने की चाल है, यह आरोप पूरी तरह से गलत है। संशोधन के पीछे का विचार मुस्लिम महिलाओं और बच्चों को सशक्त बनाना है, जो इसके तहत पीड़ित हैं। मौलवियों द्वारा एक “खतरनाक कहानी” गढ़ी जा रही है, जो यह बेतुका बयान दे रहे हैं कि मुसलमानों की जमीन छीन ली जाएगी।(NTDV)
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपने एक बायन में कहा कि “वक्फ अधिनियम में किसी भी प्रकार का बदलाव या संशोधन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
विधि बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. एसक्यूआर इलियास ने कहा कि “सरकार वक्फ अधिनियम, 2013 में लगभग 40 संशोधनों के माध्यम से वक्फ संपत्तियों की स्थिति और प्रकृति को बदलना चाहती है, ताकि उनका कब्जा आसान हो जाए।” उन्होंने आगे कहा कि “मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड यह स्पष्ट करना महत्वपूर्ण समझता है कि वक्फ संपत्तियां “धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए समर्पित मुस्लिम परोपकारियों द्वारा किया गया दान है। सरकार ने केवल उन्हें विनियमित करने के लिए वक्फ अधिनियम बनाया है।” दूसरे धर्मो के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह मामला सिर्फ मुसलमानों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आशंका है कि अगला नंबर सिखों और ईसाइयों का भी हो सकता है।
सूत्रों ने बताया कि पहला वक्फ अधिनियम 1954 में पारित किया गया था और पहला संशोधन 1995 में तथा उसके बाद 2013 में किया गया। अब मुस्लिम महिलाएं और आम मुसलमान पूछ रहे हैं कि सरकार वर्तमान वक्फ अधिनियम में बदलाव क्यों नहीं कर रही है।
बात दे की जब कोई जमीन वक्फ के पास चली जाती है तो उसे वापस नहीं लिया जा सकता। यही कारण है कि शक्तिशाली मुसलमानों ने वक्फ बोर्ड पर कब्जा कर लिया है। जिस कारण महिलाएं और बच्चे पीड़ित हैं। अगर किसी मुस्लिम महिला को तलाक दे दिया जाता है तो उसे और उसके बच्चों को कोई अधिकार नहीं मिलेगा।
प्रस्तावित संशोधन के दो मुख्य भाग हैं – (1) पहली बार वक्फ बोर्ड में महिलाओं को शामिल करने का प्रावधान; और (2) यह सुनिश्चित करना कि भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित करने से पहले उसका सत्यापन किया जाए।
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