Dr. Manmohan Singh death: 92 वर्ष की उम्र में ली आखिरी सांस

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Dr. Manmohan Singh death: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh) का गुरुवार शाम को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हें सांस लेने में तकलीफ के चलते दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के आपातकालीन विभाग में भर्ती कराया गया था। डॉ. सिंह ने 26 दिसंबर 2024 को अंतिम सांस ली, जिससे पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।

Dr. Manmohan Singh ने 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की और इस दौरान वे भारतीय राजनीति में एक मूक लेकिन अत्यंत प्रभावी नेता के रूप में पहचाने गए। अप्रैल 2024 में उन्होंने राज्यसभा से सेवानिवृत्त होकर अपने 33 वर्षीय राजनीतिक करियर को समाप्त किया। 1991 से 1996 तक, उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव के मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री के रूप में सेवा की और देश के आर्थिक सुधारों में ऐतिहासिक भूमिका निभाई

Dr. Manmohan Singh: दो बार रह चुके हैं प्रधानमंत्री

Dr. Manmohan Singh ने अपने राजनीतिक और प्रशासनिक जीवन में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। 1991 में, जब भारत गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था, उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में साहसिक निर्णय लिए और आर्थिक सुधारों की दिशा में कदम बढ़ाए। उन्होंने देश को समाजवादी नीतियों से मुक्त करते हुए उदारीकरण की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके द्वारा लागू की गई नीतियों ने भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धी बनाया।

1991 में राज्यसभा के सदस्य बनने के बाद, डॉ. सिंह ने भारतीय संसद में एक गंभीर और विचारशील नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई। 1998 से 2004 तक, वे राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे। उनकी गहरी समझ और शांत स्वभाव ने उन्हें एक सम्माननीय नेता के रूप में स्थापित किया। 2004 में, वे देश के प्रधानमंत्री बने और लगातार दो कार्यकाल तक इस पद पर रहे। उनके नेतृत्व में, भारत ने आर्थिक और तकनीकी क्षेत्रों में कई मील के पत्थर हासिल किए।

Dr. Manmohan Singh की शिक्षा

Dr. Manmohan Singh का जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत (अब पाकिस्तान में) के गांव गह में हुआ था। उनका प्रारंभिक जीवन कठिनाइयों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से शिक्षा के क्षेत्र में असाधारण सफलता हासिल की। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की और इसके बाद कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की। डॉ. सिंह ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डी.फिल की उपाधि अर्जित की और अकादमिक क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई।

Dr. Manmohan Singh death

डॉ. सिंह ने भारतीय प्रशासनिक सेवा में अपनी सेवा देने से पहले भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, योजना आयोग के उपाध्यक्ष और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के अध्यक्ष जैसे पदों पर कार्य किया। उनकी नीतियां और योजनाएं दूरदर्शिता और राष्ट्र के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।

2004 में, जब Dr. Manmohan Singh को प्रधानमंत्री बनाया गया, तब उन्होंने भारतीय राजनीति को एक नए स्वरूप में प्रस्तुत किया। उनका कार्यकाल उनकी नीतियों, योजनाओं और कूटनीतिक कौशल के लिए जाना जाता है। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा और कृषि क्षेत्र में सुधार की दिशा में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। उनकी सरकार के दौरान सूचना प्रौद्योगिकी और सेवा क्षेत्र ने अभूतपूर्व प्रगति की।

प्रधनमंत्री ने कहा…

डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा, “भारत ने अपने सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक को खो दिया है। डॉ. मनमोहन सिंह जी ने विनम्र शुरुआत से उठकर एक सम्मानित अर्थशास्त्री और नेता के रूप में ख्याति प्राप्त की। उनके नेतृत्व और योगदान को देश सदैव याद रखेगा।”

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, “मनमोहन सिंह जी ने भारत का नेतृत्व बुद्धिमत्ता और ईमानदारी से किया। उनकी विनम्रता और आर्थिक समझ ने हमें प्रेरित किया। मैंने एक मार्गदर्शक और सलाहकार खो दिया है।”

गृह मंत्री अमित शाह ने भी शोक व्यक्त करते हुए कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह ने देश की सेवा में अपने जीवन का हर क्षण समर्पित किया। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।”

उद्योगपति गौतम अडानी ने कहा, “डॉ. सिंह ने 1991 के सुधारों के माध्यम से भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए तैयार किया। उनकी ईमानदारी, नेतृत्व और सेवा से देश को प्रेरणा मिलती रहेगी।”

डॉ. मनमोहन सिंह की विरासत देश के हर नागरिक के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी नीतियों ने भारत की आर्थिक संरचना को बदल दिया और उनके शांतिपूर्ण स्वभाव ने राजनीति को गरिमा प्रदान की। उन्होंने यह साबित किया कि सच्चा नेतृत्व न केवल शब्दों में बल्कि कार्यों में होता है।
उनकी ईमानदारी, विद्वता और देश के प्रति समर्पण की भावना आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। उनका जीवन यह संदेश देता है कि कठिन परिस्थितियों में भी दृढ़ संकल्प और मेहनत से असंभव को संभव बनाया जा सकता है।

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