राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत के 78वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया। संबोधित करते हुए मुर्मू ने आर्थिक मजबूती और समावेशिता को बढ़ावा देने की बात की।
राष्ट्रपति ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सामाजिक न्याय नरेंद्र मोदी सरकार का मुख्य फोकस है। इसमें 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने जैसी विभिन्न योजनाएं शामिल हैं।
सुश्री मुर्मू ने कहा कि जब तिरंगा झंडा लाल किले, राज्य की राजधानी या स्थानीय मोहल्लों में फहराया जाता है, तो यह लोगों को खुशी से भर देता है और यह हमारे महान देश का हिस्सा होने पर गर्व की भावना को दर्शाता है।
राष्ट्रपति ने कहा की “जिस तरह हम अपने परिवार के साथ विभिन्न त्यौहार मनाते हैं, उसी तरह हम स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस भी अपने परिवार के साथ मनाते हैं, जिसमें हमारे साथी नागरिक भी शामिल हैं। हम समझते हैं कि हम एक ऐसी श्रृंखला का हिस्सा हैं जो हमारी स्वतंत्रता के लिए लड़ने वालों के सपनों को भविष्य की पीढ़ियों की आशाओं से जोड़ती है, जो हमारे राष्ट्र को अपना पूर्ण गौरव पुनः प्राप्त करते हुए देखेंगे। इस ऐतिहासिक श्रृंखला में अपनी भूमिका को पहचानना वास्तव में विनम्र करने वाला है।”
स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को याद करते हुए, जिन्होंने भारत की आत्मा को लम्बे समय की नींद से जगाया, और विभाजन के कठिन समय को ध्यान में रखते हुए, सुश्री मुर्मू ने कहा कि सरकार का लक्ष्य भारत को वैश्विक मंच पर उसका सही स्थान दिलाना है।
राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग, मतदाताओं, अधिकारियों, सुरक्षा बलों और इस साल के लोकसभा चुनाव में शामिल सभी को बधाई दी और इसे मानव इतिहास का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक चुनाव बताया। राष्ट्रपति ने कहा कि “भारत के सफल चुनाव वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करते हैं।”
सुश्री मुर्मू ने कहा कि 2021 से 2024 के बीच, भारत की अर्थव्यवस्था बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ी है, और हर साल औसतन 8% की दर से आगे बढ़ी है।
उन्होंने कहा, “इससे लोगों के पास ज्यादा पैसा आया है और गरीबों की संख्या में काफी कमी आई है। जो लोग अब भी गरीबी में हैं, उनकी मदद की जा रही है और उन्हें गरीबी से बाहर लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। जैसे कि पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है।”
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत अब दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और जल्द ही शीर्ष तीन में शामिल हो सकता है। उन्होंने इसके लिए किसानों और श्रमिकों की मेहनत, योजनाकारों की सोच, और व्यवसायों के योगदान को सराहा, जो एक दूरदर्शी नेतृत्व के तहत हो रहा है।
भारत ने वैश्विक दक्षिण के प्रमुख स्वरूप के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत किया है। इस पर बल देते हुए, राष्ट्रपति ने संविधान निर्माता बी.आर. अंबेडकर का हवाला देते हुए कहा कि भारत को सिर्फ राजनीतिक लोकतंत्र ही नहीं, बल्कि सामाजिक समानता और न्याय को भी सुनिश्चित करना चाहिए। इसका मतलब है कि सभी लोगों को बराबरी का हक मिलना चाहिए और समाज में किसी भी तरह का भेदभाव खत्म होना चाहिए।
उन्होंने कहा की “हमारी समाज में सबको शामिल करने की भावना हर जगह महसूस होती है। हम अपनी विविधता के साथ एक साथ आगे बढ़ते हैं। हमें सकारात्मक कार्रवाई को और मजबूत करना चाहिए ताकि सभी को समान अवसर मिले। मुझे लगता है कि हमारे बड़े देश में हमें किसी भी तरह की सामाजिक भेदभाव या झगड़े को बढ़ावा देने वाली बातें नहीं माननी चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा, “सामाजिक न्याय सरकार का मुख्य ध्यान है। इसने अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य हाशिए पर पड़े समूहों की मदद के लिए कई नए कदम उठाए हैं।”
राष्ट्रपति ने कहा कि समाज में महिलाओं को “बराबर से भी अधिक” माना जाता है, लेकिन वे अभी भी पूर्वाग्रहों का सामना करती हैं। सरकार उनके भले के लिए काम कर रही है। सुश्री मुर्मू ने बजट आवंटन, कार्यबल में बढ़ती भागीदारी और जन्म के समय बेहतर लिंग अनुपात को महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सरकार की लगातार कोशिशों के प्रमाण के रूप में पेश किया।
जलवायु परिवर्तन पर उन्होंने कहा, “भारत को ग्लोबल वार्मिंग से लड़ाई में आगे होने पर गर्व है। मैं सभी से अनुरोध करती हूं कि वे अपने रोजमर्रा के जीवन में छोटे-छोटे बदलाव करें, जिससे इस प्रयास में मदद मिल सके।”
सुश्री मुर्मू ने भारत की अंतरिक्ष और खेल की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने ओलंपिक में मिले पदकों और टी20 विश्व कप में क्रिकेट टीम की जीत का भी उल्लेख किया।
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