बिहार के वैशाली ज़िले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने शिक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। गोरौल प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय भटौलिया में मंगलवार को उस समय हड़कंप मच गया जब स्कूल पहुंचने पर छात्र और शिक्षक गेट के बाहर ताला लटका देख हैरान रह गए। वजह जानकर सभी दंग रह गए, स्कूल की ज़मीन देने वाले पूर्व मुखिया के पोते ने स्कूल में तालाबंदी कर दी थी
गर्मी में गेट के बाहर बैठे रहे मासूम
गर्मी का पारा जहां 40 डिग्री के पार पहुंच चुका है, वहीं स्कूली बच्चे घंटों तक स्कूल गेट के बाहर बैठकर इंतज़ार करते रहे। बच्चे स्कूल यूनिफॉर्म में आए थे लेकिन अंदर जाने की इजाज़त नहीं मिली। नतीजतन उन्हें खुले आसमान के नीचे बैठना पड़ा। इस दृश्य का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें कई बच्चे असहाय नज़र आ रहे हैं।
60 साल पुराना विवाद बना परेशानी की वजह
दरअसल, जिस ज़मीन पर स्कूल बना है, वह 60 साल पहले उस गांव के तत्कालीन मुखिया ने शिक्षा के उद्देश्य से दान दी थी। उन्होंने 25 डिसमिल ज़मीन स्कूल निर्माण के लिए दी थी, लेकिन शिक्षा विभाग ने आज तक उस ज़मीन की रजिस्ट्री नहीं करवाई। अब दानदाता के पोते ने स्कूल को ताला जड़ते हुए साफ कह दिया है, या तो ज़मीन की रजिस्ट्री कराई जाए या फिर ज़मीन खाली की जाए।
घटना की खबर फैलते ही गांव में हंगामा मच गया। स्थानीय लोगों ने स्कूल के बाहर प्रदर्शन किया और शिक्षा विभाग की लापरवाही पर नाराज़गी जताई। मामले की गंभीरता को देखते हुए शिक्षा विभाग के अधिकारी और अंचलाधिकारी (सीओ) मौके पर पहुंचे और स्थिति को संभालने की कोशिश की।
फिलहाल शिक्षा विभाग और ज़िला प्रशासन इस मामले के समाधान की कोशिश में जुट गया है, लेकिन जब तक कागज़ी कार्यवाही पूरी नहीं होती, तब तक स्कूल का भविष्य अधर में है। इस बीच सबसे बड़ा सवाल यही है – क्या मासूम बच्चों को इस व्यवस्था का शिकार बनना चाहिए?
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