भारत में भाषाओं की विविधता के साथ-साथ अब ‘हम्म’ (hmm) की टोन भी सांस्कृतिक धरोहर में शामिल होने की कगार पर है। भारत में ‘हम्म’ एक शब्द नहीं, बल्कि भावनाओं का बहुभाषी ऑडियो एक्सप्रेशन है, जिसकी ध्वनि बदले, तो उसका अर्थ ही पलट जाए। “हम्म” के इतने प्रकार हैं कि लोगों को आने वाले समय में इसका मतलब समझने के लिए कोर्स लॉन्च करने की जरूरत पड़ सकती हैं। भारत में अगर कोई एक शब्द है जो हर भाषा, हर राज्य और हर रिश्ते में फिट बैठता है, तो वह है – “हम्म”।
“हम्म” की वैरायटी!
दिलचस्प बात ये है कि एक ही इंसान दिनभर में कई तरह के ‘हम्म’ बोल सकता है और हर बार उसका मतलब बदल जाता है। सुबह ऑफिस के बॉस को ‘हम्म’ कहो, तो वह समर्पण माना जाता है। दोपहर में दोस्त को कहो, तो वह सहमति। और रात में घर पर कह दो, तो पत्नी को लगेगा, “आज मूड ठीक नहीं है।” फोन पर मां से बात करते हुए जब आप ज़्यादा जवाब नहीं देना चाहते, लेकिन सामने वाले को लगे कि आप सुन रहे हैं, तो हर पाँच सेकेंड में एक मशीनी ‘हम्म’ डाल देते हैं।
सबसे क्लासिक स्थिति होती है, जब गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड चैट पर कुछ लंबा भावुक मैसेज भेजता है, और जवाब में बस एक ‘हम्म’। यहाँ ‘हम्म’ का वजन टन में नापा जाता है। ये या तो रिश्ते को गहरा कर सकता है, या अगले दिन इंस्टाग्राम पर स्टोरी आ सकती है – “Some people don’t even try to understand you.” सबसे खतरनाक ‘हम्म’ वो होता है जो किसी बड़े का होता है, खासकर पापा का। जब आप उनसे कुछ माँगें और जवाब आए सिर्फ एक ठंडा सा “हम्म”, तो समझिए यह न हाँ है, न ना। इसका मतलब है देखा जाएगा।
अगली बार कोई आपसे बोले “हम्म”, तो सिर्फ आवाज़ मत सुनिए — उसके चेहरे के हाव-भाव, सांस की गति, आंखों की नमी या आग, और वक्त की नज़ाकत भी तौल लीजिए। याद रखिए, यहां ‘हम्म’ कभी अकेला नहीं आता – उसके साथ होता है पूरा इमोशनल बैगेज, जिसे सिर्फ समझदार ही डिकोड कर पाते हैं।
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