22 दिसंबर को हर साल भारत में राष्ट्रीय गणित दिवस (Indian Mathematics day) के रूप में मनाया जाता है। यह दिन समर्पित है उस महान गणितज्ञ को, जिनका नाम सुनते ही गणित प्रेमियों की आंखों में चमक आ जाती है – श्रीनिवास रामानुजन (shriniwas Ramanujan) । उनकी कहानी संघर्ष, प्रतिभा और अद्भुत खोजों से भरी हुई है। लेकिन क्या आप जानते हैं, एक साधारण दिखने वाली संख्या 1729 कैसे उनकी पहचान बन गई? आइए, उनकी प्रेरणादायक यात्रा और इस संख्या के पीछे छिपे रहस्य को समझते हैं।
Shriniwas Ramanujan की कहानी प्रेरणा, संघर्ष और असाधारण प्रतिभा की मिसाल है। उन्होंने उन कठिनाइयों को पार किया, जिन्हें आम इंसान अपने सपनों का अंत मान लेता। अत्यधिक गरीबी, संसाधनों की कमी, और औपचारिक शिक्षा के अभाव के बावजूद, रामानुजन ने अपने भीतर छिपी गणितीय प्रतिभा को पहचान कर इतिहास रच दिया (National Mathematics Day)। उनकी कहानी केवल एक गणितज्ञ की कहानी नहीं है, यह एक ऐसे इंसान की कहानी है, जिसने यह साबित कर दिया कि अगर जुनून और लगन हो, तो सीमित साधन भी आपको महानता तक पहुंचा सकते हैं।
Shriniwas Ramanujan: गरीबी से गणितज्ञ तक का सफ़र
22 दिसंबर 1887 को तमिलनाडु के छोटे से शहर इरोड में जन्मे श्रीनिवास रामानुजन (Shriniwas Ramanujan) एक साधारण परिवार से थे। आर्थिक हालात इतने कठिन थे कि पढ़ाई के लिए भी संघर्ष करना पड़ता था। लेकिन रामानुजन की गणित के प्रति रुचि और उनका समर्पण अद्वितीय था। बिना किसी औपचारिक प्रशिक्षण के, उन्होंने गणित के कई ऐसे सूत्र खोजे, जो उनकी विलक्षण बुद्धिमत्ता का प्रमाण थे।
वह दिन-रात गणित में डूबे रहते थे। उनके पास साधन सीमित थे, लेकिन उनका दिमाग गणितीय अन्वेषणों की असीमित दुनिया में घूमता रहता। उन्होंने गणितीय विश्लेषण, अनंत श्रेणी, और संख्या सिद्धांत जैसे क्षेत्रों में जो योगदान दिए, वे आज भी अद्वितीय माने जाते हैं।
1729: एक साधारण संख्या या कुछ खास?
अब बात करते हैं उस घटना की, जिसने रामानुजन की प्रतिभा को दुनिया के सामने लाने में अहम भूमिका निभाई (National Mathematics Day) । जब रामानुजन गंभीर रूप से बीमार थे, तब ब्रिटिश गणितज्ञ जी.एच. हार्डी (G.H. Hardy) उनसे मिलने अस्पताल पहुंचे। हार्डी ने हल्के अंदाज में कहा, “मैं 1729 नंबर की टैक्सी में आया था। यह तो एक साधारण और उबाऊ संख्या लगती है।”
रामानुजन ने मुस्कुराते हुए कहा, “नहीं, यह कोई साधारण संख्या नहीं है। यह सबसे छोटी संख्या है, जिसे दो अलग-अलग तरीकों से दो संख्याओं के घनों के योग के रूप में लिखा जा सकता है।”
रामानुजन की इस बात ने सबको चौंका दिया। उन्होंने तुरंत बताया:
1³ + 12³ = 1729
9³ + 10³ = 1729
यह घटना उनके अद्भुत दिमाग और उनकी गहरी गणितीय समझ का प्रमाण थी। आज यह संख्या “रामानुजन-हार्डी संख्या” के नाम से जानी जाती है।
गणितीय दुनिया में Shriniwas Ramanujan का योगदान (National Mathematics Day)
Shriniwas Ramanujan ने लगभग 3,900 प्रमेय और परिणाम खोजे, जिनमें से कई गणित के विभिन्न क्षेत्रों में मील का पत्थर साबित हुए। उन्होंने “मॉड्यूलर फॉर्म्स” और “मॉक थीटा फंक्शंस” जैसे क्षेत्रों में काम किया, जिन पर आज भी शोध चल रहा है। उनकी खोजों ने न केवल गणित के सिद्धांतों को बदला, बल्कि 20वीं सदी के गणित को एक नई दिशा दी।
उनकी खोजें सिर्फ जटिल गणितीय समीकरणों तक सीमित नहीं थीं। वे संख्याओं में छिपे पैटर्न और सुंदरता को देखने की क्षमता रखते थे। रामानुजन के लिए गणित केवल एक विषय नहीं था; यह उनके लिए प्रकृति का एक संगीत था, जिसमें हर संख्या एक सुर की तरह थी।
भारत का गणितीय गौरव
रामानुजन की उपलब्धियां भारत की प्राचीन गणितीय परंपरा की याद दिलाती हैं। भारत ने शून्य की खोज, दशमलव प्रणाली, बीजगणित, और त्रिकोणमिति में जो योगदान दिया, वह अद्वितीय है। गणित में भारत का गौरवशाली इतिहास रामानुजन जैसे प्रतिभाशाली गणितज्ञों के कारण और चमक उठा।
हर साल, National Mathematics Day पर स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताएं, कार्यशालाएं और व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं। इस दिन का उद्देश्य बच्चों और युवाओं को गणित के प्रति उत्साहित करना और उनकी कल्पनाशीलता को बढ़ावा देना है। रामानुजन की कहानी सिखाती है कि परिस्थितियां चाहे जितनी भी कठिन क्यों न हों, यदि जुनून और दृढ़ संकल्प हो, तो कोई भी बाधा सफलता की राह में रुकावट नहीं बन सकती।
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