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Indian Navy day: सागर के साहसिक प्रहरी का जश्न

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हर साल 4 दिसंबर को पूरे भारत में नौसेना दिवस (Indian Navy day) मनाया जाता है। यह दिन भारतीय नौसेना के गौरवशाली इतिहास, अद्वितीय शौर्य और समुद्र में उसकी अटूट सेवा को समर्पित है। नौसेना दिवस का महत्व केवल सैनिकों की वीरता का सम्मान करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की समुद्री ताकत, तकनीकी उन्नति और राष्ट्रीय सुरक्षा में नौसेना की अहम भूमिका को भी उजागर करता है। यह अवसर (Indian Navy day) उन सैनिकों को श्रद्धांजलि देने का है, जिन्होंने सागर की गहराइयों में अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए देश की सुरक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।

Indian Navy day: ऐतिहासिक महत्व

भारतीय नौसेना दिवस (Indian Navy day) का सीधा संबंध 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध से है। यह दिन उस ऐतिहासिक जीत की याद दिलाता है, जब भारतीय नौसेना ने ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ के तहत कराची बंदरगाह पर अभूतपूर्व हमला किया था। 4 और 5 दिसंबर की रात को भारतीय नौसेना के साहसिक अभियान ने न केवल पाकिस्तान की नौसेना को भारी नुकसान पहुंचाया, बल्कि कराची के तेल डिपो को भी जलाकर राख कर दिया। इस हमले में भारत ने पाकिस्तान के तीन बड़े जहाजों को नष्ट किया और भारी मात्रा में नुकसान पहुंचाया। इस अभियान को भारतीय सैन्य इतिहास में एक निर्णायक पल माना जाता है।

भारतीय नौसेना का गौरवशाली इतिहास

भारतीय नौसेना की जड़ें सत्रहवीं सदी के मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज के समय तक जाती हैं, जिन्हें आधुनिक नौसेना का जनक माना जाता है। स्वतंत्रता के बाद भारतीय नौसेना को नए सिरे से संगठित किया गया और इसे एक सशक्त और आधुनिक बल में तब्दील किया गया। आज भारतीय नौसेना न केवल हिंद महासागर क्षेत्र में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है। इसमें 150 से अधिक जहाज, पनडुब्बियां और अत्याधुनिक विमानों का बेड़ा शामिल है, जो इसे विश्व की प्रमुख नौसेनाओं में से एक बनाते हैं।

ऑपरेशन ट्राइडेंट: एक साहसिक अध्याय

1971 के युद्ध में भारतीय नौसेना का ऑपरेशन ट्राइडेंट भारत के सैन्य इतिहास का ऐसा अध्याय है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस अभियान में पहली बार एंटी-शिप मिसाइलों का उपयोग किया गया। भारतीय नौसेना के छोटे लेकिन कुशल जहाजों ने कराची बंदरगाह को पूरी तरह हिला दिया। इस ऑपरेशन ने भारतीय नौसेना की रणनीतिक क्षमता और साहसिक सोच को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई।

तकनीकी उन्नति और आत्मनिर्भरता

आज भारतीय नौसेना ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत स्वदेशी तकनीक को प्राथमिकता दे रही है। INS विक्रांत, भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत, इसका जीता-जागता उदाहरण है। यह पोत भारतीय नौसेना की शक्ति को नई ऊंचाइयों पर ले गया है। इसके अलावा, नई पीढ़ी की पनडुब्बियां, युद्धपोत और निगरानी प्रणाली नौसेना को अधिक सक्षम और तकनीकी रूप से उन्नत बना रही हैं।

समुद्री सुरक्षा में नौसेना की भूमिका

भारतीय नौसेना न केवल युद्ध के समय बल्कि शांति के दौरान भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत और बचाव कार्यों में भी अग्रणी रहती है। 2004 की सुनामी हो या हाल ही में कोविड-19 महामारी के दौरान ‘ऑपरेशन समुद्र सेतु’, भारतीय नौसेना ने हर बार मानवता की सेवा में अपनी दक्षता साबित की है।

नौसेना दिवस (Indian Navy day) पर पूरे देश में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भारतीय नौसेना के युद्धपोतों और विमानों का प्रदर्शन, सागर पर नौसैनिक अभ्यास और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से नौसेना की ताकत और योगदान को प्रस्तुत किया जाता है। यह दिन हमें यह भी याद दिलाता है कि देश की सुरक्षा में हमारे समुद्री प्रहरी कितने महत्वपूर्ण हैं।

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