देश की वन ऑफ द बेस्ट IT कंपनी में से एक है Infosys, जिस पर अब टैक्स चोरी का मामला सामने निकल कर आ रहा है। बताया जा रहा है की Infosys ने 32 हजार करोड़ की टैक्स चोरी की है। उन्हे कर्नाटक GST ने पहले नोटिस भेजा था, जो अब वो वापस ले चुके है। इस टैक्स चोरी के मामले के कारण कंपनी के शेयर बाजार में भी इसका असर दिखा जा रहा है।
कंपनी ने शेयर बाजार को गुरुवार 1 अगस्त को सूचित किया की कर्नाटक स्टेट अथॉरिटीज से कम्युनिकेशन मिला है, जिसमें उन्होंने बताया कि प्री-शो कॉज नोटिस को वापस लिया जा रहा है। कंपनी को अपना जवाब डाइरेक्टरेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स इंटेलीजेंस (डीजीजीआई) के पास सबमिट करना है।
कंपनी के शेयर पर इसका असर:-
टैक्स चोरी का विवाद सामने आने के बाद इंफोसिस कंपनी के शेयरों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इंफोसिस के शेयर लगातार नुकसान में हैं। आज शुक्रवार को शुरुआती में इंफोसिस का शेयर 1 फीसदी से ज्यादा के नुकसान में दिख रहा है और 1,832 रुपये पर कारोबार (बिजनेस) कर रहा है।
कंपनी का इल्जाम से लगातार इनकार:-
Infosys का कहना है की कंपनी सारे टैक्स टाइम पर देती है और सारे निमाओ का भी पालन करती है। टैक्स के सारे बकायो को कंपनी पहले ही भर चुकी है, ऐसे में अब उनके पास कोई बकाया नही है और कंपनी अपने उपर लगे हुए इल्जाम से इंकार करती है।
कर्नाटक GST ने पहले नोटिस भेजा था:-
पूरा मामला जीएसटी की चोरी का है। इंफोसिस कंपनी के ऊपर आरोप है कि उसने 32 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के जीएसटी की चोरी की है। कंपनी को पहले कर्नाटक जीएसटी अथॉरिटी की ओर से नोटिस भेजा गया था जिसमे कर्नाटक GST से नोटिस की खबरें सामने आने के बाद कंपनी को डाइरेक्टरेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स इंटेलीजेंस (डीजीजीआई) से भी टैक्स वाले मुद्दे पर नोटिस मिला था हालांकि अब कर्नाटक GST ने इस नोटिस को वापस ले लिया है।
विवाद की वजह:-
Infosys ने 31 जुलाई को शेयर बाजार को सूचित किया था की उन्हे कर्नाटक GST से GST भरने का नोटिस मिला है, जिसमे 32,402 हजार करोड़ रुपए भरने की बात की गई है। नोटिस में बताया गया है की यह नोटिस कंपनी के द्वारा अपनी विदेश शाखाओं से 2017 से 2022 तक ली गई सर्विस को लेकर है। GST डिपार्टमेंट का कहना है कि कंपनी ने उन सेवाओं के बदले अपनी विदेशी शाखाओं को भुगतान किया है और कंपनी ने खर्च के रूप में उन्हे ही दिखाया है। जिसके वजह से कंपनी पर रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत 32,402 हजार करोड़ रुपए देने की देनदारी बनती है।
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