भारत के उड़ीसा में स्थित है जगन्नाथ मंदिर जिसका दर्शनर्श करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं । इस मंदिर में विराजते हैं भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण के एक रूप भगवान जगन्नाथ । जगन्नाथ शब्द का
अर्थ होता है जगत के नाथ यानी “the lord of universe”. आज के इस लेखन में हम जगन्नाथ मंदिर के कुछ ऐसे रहस्य के बारे में बताएंगे जो सच में हैरान कर देने वाला है।


भगवान जगन्नाथ के दर्शनर्श करने के लिए हर साल लाखों लोग उड़ीसा (Orrisa) जाते हैं,शायद आप भी कभी इस मंदिर के दर्शनर्श करने के लिए गए हो ,लेकिन क्या आप इस मंदिर के इतिहास के बारे में जानते हैं? अगर नहीं तो आईए जानते हैं


इस मंदिर का निर्माण र्मागंग वंश के प्रसिद्ध राजा अनंतवर्मनर्म चोढगंग ने 12वीं शताब्दी (Century) में करवाय था । इस मंदिर में गैर हिंदुओं को प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। पौराणिक कथाओं के अनुसानुसार राजा को एक बार सपने में भगवान जगन्नाथ के दर्शनर्श हुए थे। भगवान ने ही राजा को इस मंदिर के निर्माण के लिए आदेश दिया ।
इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ अपनी छोटी बहन सुभसुद्रा और अपने बड़े भाई बलभद्र के साथ विराजमान है।
दूसरे मंदिरों में भगवान की मूर्ति पत्थर से या फिर किसी धतु से बनाई जाती है वही यहां भगवान की मूर्ति
लकड़ी से बनाई गई है (wooden temple) ।


मंदिर से जुड़ी एक मान्यता है कि जब भगवान कृष्ण (God Krishna) ने अपनी देह का त्याग किया और उनका अंतिम संस्कार किया गया तो शरीर के एक हिस्से को छोड़कर उनकी पूरी देह पंचतत्व में विलीन हो गई, मान्यता है कि भगवान कृष्ण का हृदय (Heart) एक जिंदा इंसान की तरह ही धड़कता है ,कहते हैं कि वो दिल आज भी सुरसुक्षित है और भगवान जगन्नाथ की लकड़ी की मूर्ति के अंदर है।


भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभसुद्रा की मूर्ति यहा हर 12 साल में बदली जाती है। मूर्ति बदलने के इस प्रक्रिया
में भी एक रोचक किस्सा है कहते हैं जिस दिन इस मूर्ति को बदल जाता है उसे दिन पूरे शहर की बिजली काट
दी जाती है। पूरे मंदिर को सीआरपीएफ (CRPF)के सुरक्षा घेरे में ले लिया जाता है। मंदिर के अंदर जाने की अनुमति किसी को नहीं होती है। सिर्फ उसी पुजारी को अंदर जाने दिया जाता है, जो मूर्ति बदलने की इस प्रक्रिया को करने वाला होता है मूर्ति बदलने की इस प्रक्रिया को इतना गोपनिया रखाजाता है कि इस प्रक्रिया को देखने
की इजाजत किसी को नहीं होती उसे पुजारी को भी नहीं जो यह प्रक्रिया कर रहा हो ता है। पुजारी के आंखों में
पट्टी बांध दी जाती है हाथों में ग्लव्स पहना दिए जाते हैं इसके बाद मूर्ति बदलने की प्रक्रिया सुरु होती हैं।
इसके बाद पुरापुरानी मूर्ति के जगह नई मूर्ति को लाया जाता है,लेकिन मूर्ति में एक ऐसी चीज है जो कभी नहीं
बदली जाती , वह है इस मूर्ति के अंदर स्थापित ब्रह्मपदार्थ। माना जाता है कि ब्रह्मपदार्थ को अगर किसी ने देख लिया या फिर छू लिया तो उसकी मृत्यु नश्चित है। इसी कारण मूर्ति बदलने के इस प्रक्रिया में इतना खास
ध्यान रखा जाता है। मान्यता यह भी है कि इस मूर्ति के अंदर जो ब्रह्मपदार्थ है वह और कुछ नहीं बल्कि
भगवान श्री कृष्ण का दिल है,जो आज भी सामान्य रूप से धड़क रहा है ।


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