दिल्ली से 10 साल पहले गायब हुए एक बच्चे को मुक्त कराया गया है। बच्चा झारखंड का निवासी था जिसे मानव तस्करी का शिकार बना लिया गया था। मानव तस्करी का शिकार हुए बच्चों को बचाने की यह पहल महिला एवं बाल विकास के नई दिल्ली स्थित एकीकृत पुनर्वास सह संसाधन केंद्र के द्वारा की गई थी। इस मामले पर उनके द्वारा दिल्ली और हरियाणा में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया था। मानव तस्करी के मामले में कई जगह छापेमारी भी की गई।
कुछ वर्ष पहले झारखंड के शाहिबगंज में एक बच्चे की लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। पुलिस के प्रयासों के बाद उसका पता नही चल पाया था। नई दिल्ली स्तिथ झारखंड को 5 दिन पहले इस मामले की जानकारी दी गई। बच्चे के पिता के पास प्लेसमेंट एजेंसी का मोबाइल नंबर था। इसकी मदद से मानव तस्कर को पकड़ने के लिए एक टीम का गठन किया गया। झारखंड भवन के अफसरों ने इस नंबर का पता कर उसको पकड़ने चले गए। पकड़ में आने के बाद ट्रैवल एजेंसी वाले उस व्यक्ति ने बात कबूल किया कि उसी ने उस बच्चे को काम पर लगवाया था।
उसने उस घर का पता दिया जहां उसने उस बच्चे को काम पर लगवाया था। हालांकि उस जगह जाने पर वह व्यक्ति नही मिला, लेकिन पुलिस ने उसे ढूंढने में कोई कसर नही छोड़ी। पुलिस ने उसके दिल्ली आवास पर छापेमारी की तो उन्हें झारखंड का ही दूसरा बच्चा मिला। उसकी उम्र 17 वर्ष थी। बच्चे से ऑफिस का कार्य करवाया जाता था। आखिर में उस बच्चे को सही सलामत उसके घर वापस भेज दिया गया। बच्चे को वापस देख उसके परिवार वाले खुश हो गए।
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