रिलीज हो गई जॉन अब्राहम और शरवरी की फिल्म वेदा, फिल्म एक ऐसी महिला की कहानी है जो एक कठोर और सख्त आदमी के साथ रिलेशनशिप में रहती है । वेदा (शरवरी) अपने पिता (राजेंद्र चावला), बहन गेहना (तन्वी मलहरा) और भाई विनोद (अनुराग ठाकुर) के साथ राजस्थान के बाड़मेर नामक जगह में रहती है। वह एक निचली जाति से ताल्लुक रखती है और उसने समाज में हो रहे भेदभाव को स्वीकार कर लिया है, और उसी में अपना जीवन गुजार रही है। फिल्म में शरवरी कानून (law) की पढ़ाई कर रही है और बॉक्सिंग सीखना चाहती है, उसे उम्मीद है कि बॉक्सिंग से उसका जीवन बेहतर हो जायेगा। जितेन्द्र प्रताप सिंह (अभिषेक बनर्जी) उसी गाँव में निवास है और 150 गाँवों का अनौपचारिक मुखिया भी है । मुखिया का भाई सुयोग (क्षितिज चौहान) वेदा के कॉलेज में एक बॉक्सिंग क्लब का आयोजन करता है । अभिमन्यु कंवर (जॉन अब्राहम) सहायक खेल प्रशिक्षक के रूप में कॉलेज में शामिल होता है। वह सेना में भर्ती था और वह अपनी पत्नी राशि (तमन्ना भाटिया) की हत्या का बदला लेने के लिए एक आतंकवादी का सिर कटने के बाद उसे कोर्ट मार्शल किया गया था । वेदा को उसकी निचली जाति और महिला होने के कारण उसे बॉक्सिंग क्लास में एडमिशन नहीं मिल पाता है, जिससे वह बहुत निराश हो जाती है। अभिमन्यु वेदा में एक चिंगारी देखता है और उसे गुप्त रूप से बॉक्सिंग सिखाता है । इस बीच, विनोद को एक ऊंची जाति की लड़की से प्यार हो जाता है। विनोद उस लड़की से भागकर शादी कर लेता हैं। जीतेंद्र उन्हें मार कर उन्हे मौत के घाट उतार देता है और वेदा और गेहना को भी नुकसान पहुंचाना चाहता है, लेकिन बहनें भाग जाती हैं परंतु गेहना पकड़ी जाती है और उसे भी मार दिया जाता है। वेदा भागने में सफल हो जाती है और फिर वह अभिमन्यु से मदद मांगती है। अभिमन्यु वेदा की मदद करने के लिए तयार हो जाता है और जान बचाने के लिए हरसंभव कोशिश करने का फैसला भी करता है। अब आगे क्या होगा यह पूरी फिल्म में दिखाया गया है।
कैसी है वेदा की परफॉर्मेंस?
फिल्म में कम से कम डायलॉग जॉन अब्राहम के हैं और वह आम तौर पर अपनी आंखों और लड़ाइयों के माध्यम से बोलने का काम करते हैं। अभिनय की बात करे तो वह अच्छा काम कर रहे है, हालांकि जॉन अब्राहम से और बेहतरीन प्रदर्शन की उम्मीद थी। शरवरी ने हर बार की तरह इस बार भी काफ़ी अच्छा परफॉर्म किया है और फिर से साबित कर दिया कि वह एक बेहतरीन कलाकार हैं।अभिषेक बनर्जी ने दमदार अभिनय प्रदर्शित किया है और खलनायक के रूप में अपनी आवाज का भी सही इस्तेमाल किया है । क्षितिज चौहान ने अपने काम से अपनी छाप छोड़ी है। आशीष विद्यार्थी (जितेंद्र के काका) भी अच्छे हैं और खूब हंसी-मजाक करते हैं। परितोष सैंड (उत्तमलाल; अभिमन्यु के ससुर) और कुमुद मिश्रा (वेदा के मौसा) ने छोटी भूमिकाओं में भी अच्छा अभिनय रहा। राजेंद्र चावला, तन्वी मलहरा, अनुराग ठाकुर, दानिश हुसैन (सुनील महाजन) और कपिल निर्मल (इंस्पेक्टर पुरोहित) भी ठीक हैं। तमन्ना भाटिया एक भरोसेमंद कलाकार हैं। मौनी रॉय कैमियो में बहुत हॉट नजर आ रही हैं।
फिल्म वेदा की मूवी रिव्यू:-
असीम अरोड़ा ने इस कहानी को लिखा है जो की बिलकुल साधारण है । असीम अरोड़ा की कहानी में बहुत से दृश्य मार्मिक हैं । हालांकि, लेखन में कुछ खामियां भी नजर आ रही हैं । निखिल आडवाणी इस फिल्म के निर्देशक है जिनकी निर्देशन ठीक-ठाक नजर आई है । हिंदी सिनेमा में जातिगत अत्याचारों को दिखाने में वह सफल रहे जिसके लिए वह तारीफ के हकदार है। कुछ दृश्य लोगो को चौका देने और परेशान करने वाले हैं, लेकिन वो सब दर्शकों को निचली जाति की आबादी के दर्द को महसूस करने के लिय दिखाए गए हैं और वे समाज में हो रही भेद भाव को भी दर्शाते है। तकनीकी रूप से भी, उन्होंने लोगो को बहुत प्रभावित किया है । फ़र्स्ट हाफ़ में हाईवे पर जो हमला वेदा पर हुआ है वो वाला दृश्य दूर से लिया गया है और यह प्रभाव को और भी बढ़ाता है। अभिमन्यु और वेदा द्वारा बदमाशों को सबक सिखाने वाला दृश्य भी लोगों को बहुत पसंद आएगा।
वहीं अगर बात कमियों की करें तो, फिल्म में पहले से भी अनुमान लगाया जा सकता है कि आगे क्या होने वाला है और कहानी कोन सा मोड़ लेने वाली है। एक समय के बाद, फिल्म में बहुत अधिक सिनेमाई स्वतंत्रताएँ दिखाई देने लगती हैं। उदाहरण के तौर पर, यह हैरान करने वाली बात है कि अभिमन्यु बिना अपना रूप बदले मंदिर से भागने में कैसे सफल हो जाता है। फिनाले बहुत ही बेतुका दिखाई देता है। गुंडों द्वारा हाई कोर्ट पर हमला करना और पुलिस के तरह से कोई बचाव न करना सबसे अजीब चीज दिखाई देता है, कुल मिलाकर क्लाइमेक्स फिल्म का सबसे कमजोर हिस्सा साबित होता है। फिल्म के गन्ने भी कुछ खास नहीं है। माहिर ज़वेरी की एडिटिंग अच्छी है परंतु दूसरे भाग को 5-10 मिनट छोटा किया जा सकता था।
आखिर क्यों देखे वेदा?
वेदा एक ऐसी फिल्म है जो निचली जाति के दर्द को दर्शाती है। फिल्म का क्लाइमेक्स कमजोर है और सेकेंड हाफ़ भी कुछ उतना खास नहीं नजर आया है। बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म अपना कुछ खास प्रभाव नहीं छोड़ पाएगी ।
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