देशभर में जब-तब धार्मिक तनाव की लपटें माहौल को गरमा देती हैं, ऐसे समय में पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी से आई एक तस्वीर ने पूरे देश को सुकून और सबक दोनों दिया है। रामनवमी के मौके पर यहां हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जो दृश्य रचा, वह केवल एक त्यौहार नहीं, बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द का एक उत्सव बन गया।
रामनवमी की शोभायात्रा जब सड़कों पर उतरी, तो जय श्रीराम के नारों के बीच कुछ ऐसे दृश्य भी सामने आए जो आंखें नम कर देने वाले थे। दर्जनों मुस्लिम युवक फूलों की पंखुड़ियां लेकर सड़कों पर खड़े थे। जैसे ही जुलूस पास आया, उन्होंने श्रद्धालुओं पर फूल बरसाए और गर्मी से राहत दिलाने के लिए उन्हें पानी की बोतलें थमाईं। उस पल धर्म नहीं, इंसानियत बोल रही थी। मुस्कुराहटें साझा हो रही थीं, गले मिलकर दिलों की दूरियां मिट रही थीं।
“हम चाहते हैं कि दोनों समुदाय साथ रहें, हमेशा”
ANI के रिपोर्ट के मुताबिक, रुसतम आलम नाम के एक मुस्लिम युवक ने भावुकता के साथ कहा, “हम इस जुलूस का स्वागत कर रहे हैं, फूल बरसा रहे हैं, क्योंकि हम चाहते हैं कि दोनों समुदाय शांति से रहें। यही हमारा धर्म है, यही हमारी संस्कृति है।” उनकी यह बात जैसे दिल में उतर गई।
रामभक्तों ने भी उसी गर्मजोशी से जवाब दिया। भोला नाथ चक्रवर्ती, जो जुलूस में शामिल थे, बोले, “राम सबके हैं। यहां कोई भेदभाव नहीं है। जो भी इस यात्रा में है, वह रामभक्त है – बस यही पहचान काफी है। हम सब मिलकर रहना चाहते हैं, शांति और भाईचारे के साथ।”
नफरत की आंधियों में मोहब्बत का दीप जलाना आसान नहीं होता
सिलिगुड़ी की यह रामनवमी उन तमाम खबरों के ठीक उलट थी, जो धर्म के नाम पर नफरत फैलाने की कोशिश करती हैं। यहां न धर्म की दीवारें थीं, न शक की नजरें। केवल दिल थे — जो एक-दूसरे के लिए धड़क रहे थे। इस आयोजन ने साबित कर दिया कि भारत की असली ताकत उसकी विविधता में नहीं, उस विविधता के बीच की एकता में है। रामनवमी के बहाने मोहब्बत का जो पैगाम सिलिगुड़ी से उठा है, वह दूर तक जाएगा – शायद वहां तक भी, जहां नफरत अभी गूंज रही है।
Also read: राहुल गांधी का “प्रवास रोको, रोज़गार दो” अभियान, बेगूसराय में दिखाएंगे बिहार के युवाओं का जोश
Visit: https://youtube.com/@TheUntoldMedia
Discover more from The Untold Media
Subscribe to get the latest posts sent to your email.