NASA ने 2035 तक मानव को मंगल ग्रह पर भेजने का लक्ष्य तय किया है। 2030 से NASA मानवयुक्त परीक्षण करने की योजना बना रहा है ताकि मंगल मिशन के लिए आवश्यक तकनीकों और प्रक्रियाओं का परीक्षण किया जा सके। इस अभियान का उद्देश्य मंगल पर सुरक्षित और सफलतापूर्वक मानव को भेजना और वापस लाना है।  

दो आर्टेमिस निरीक्षण मिशनों के बाद आर्टेमिस III जो प्रस्तुत: पूर्व योजना के अनुसार 2026 के अनुरूप अयोजित है, 50 से अधिक  वर्षों के बाद में चंद्रमा की सतह पर मानवता की प्रथम वापसी को लक्षित करेगा | NASA एक नए इतिहास रचने हेतु चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के क्षेत्र की जांच के लिए प्रथम मनुष्य को प्रेषित करेगा |

इस समय के दौरान अंतरिक्ष यात्री महत्तवपूर्ण वैज्ञानिक कार्य करेंगे और सतह के अध्ययन के लिए मूनवॉक की एक श्रृंखला अयोजित कर स्टारशिप से बाहर निकलेंगे |
गए हुए अंतरिक्ष यात्री उन्नत स्पेस सूट पहनेंगे,एयर लॉक की सहायता से बाहर निकलेंगे और स्टारशिप के एलिवेटर पर उतरेंगे | NASA ने Artemis III मिशन के लिए Axiom Space का चुनाव किया है जो अंतरिक्ष यात्रियों को पिछले चंद्र मिशनो के मुकाबले अधिक गतिशिलता और लचीलापन प्रदान करेगी |


पृथ्वी से चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश और निकास करने के लिए NASA का Orion Spacecraft ही एकमात्र माध्यम  होगा |
Orion ही केवल एक ऐसा अंतरिक्ष यान है जो चालक दल को चंद्र पुन:  प्रवेश वेगो पर पृथ्वी पर वापस लाने की क्षमता रखता है |
इस मिशन में चार अंतरिक्ष यात्री Florida के Kennedy Space Centre के Launch Pad 39B से Space Launch System के ऊपर से उड़ान भरेगा जो एकमात्र ऐसा रॉकेट है जो Orion उसके चालक दल और उनकी आपूर्ति को एक ही लॉन्च में चंद्रमा पर भेजने के लिए पर्याप्त शक्तिपूर्ण है |


इस मिशन में प्रत्येक रास्ते पर छह से सात महीने की एक दौर की यात्रा शामिल होगी, जिसमें लगभग 402 मिलियन किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी। अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर लौटने से पहले बहुमूल्य वैज्ञानिक डेटा इकट्ठा करते हुए, मंगल ग्रह की सतह पर 500 दिन तक बिता सकते हैं |
पृथ्वी पर मिशन नियंत्रण टीमें चालक दल के संपर्क में रहेंगी ताकी वे जो देख, सुन और महसूस कर रहे हैं उसे वे प्रसारित कर कर सके।इस प्रसार के माध्यम से वे दुनिया के साथ एक अनूठे नए मानवीय अनुभूति में योगदान देंगे |
Artemis III अब तक के गहन अंतरिक्ष समन्वेषण के इतिहास में सबसे जटिल मिशन साबित होगा और यह एक ऐसे भविष्य का आरंभ करेगा जिसमें मनुष्य लगातार  चंद्रमा तक पहुंच सकेगे और मानव ग्रह अन्वेषण मिशन पहुंच के भीतर होगे |


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