मकर संक्रांति के मौके पर आयोजित महाकुंभ का पवित्र शाही स्नान मंगलवार को एक दुखद घटना का साक्षी बना। शरद पवार गुट (NCP) के वरिष्ठ नेता और सोलापुर के पूर्व मेयर Mahesh Vishnupant Kothe का गंगा स्नान के बाद अचानक निधन हो गया। बताया जा रहा है कि स्नान के तुरंत बाद ही Mahesh Kothe का दौरा पड़ा, जिससे उनकी मौत हो गई।
Mahesh Kothe अपने मित्रों के साथ महाकुंभ में गंगा स्नान के लिए पहुंचे थे। स्नान के बाद उन्होंने छाती में तेज दर्द की शिकायत की, जिसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया। हालांकि, डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। बताया जा रहा है कि कोठे के परिवार ने महाराष्ट्र सरकार (NCP) के जरिए उत्तर प्रदेश सरकार से उनके पार्थिव शरीर को सोलापुर एयरलिफ्ट करने का अनुरोध किया है।
Mahesh Kothe: शरद पवार ने जताया शोक
Mahesh Kothe के निधन पर NCP प्रमुख शरद पवार ने गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा, “सोलापुर के सबसे युवा मेयर और मेरे पुराने साथी महेश कोठे का निधन बेहद दुखद है। उनके प्रयासों से सोलापुर की राजनीति और सामाजिक क्षेत्र को नई दिशा मिली। आज हमने एक सच्चा जनसेवक खो दिया है। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और समर्थकों के साथ हैं।
Mahesh Kothe: राजनीतिक सफर की मिसाल
महेश कोठे का नाम सोलापुर की राजनीति में बेहद सम्मान के साथ लिया जाता है। वे सोलापुर नगर पालिका के सबसे युवा मेयर बने और अपने कार्यकाल के दौरान शहर के विकास में कई उल्लेखनीय कार्य किए। उन्होंने सात बार नगर पालिका चुनाव जीते और सोलापुर की जनता के विश्वास का प्रतीक बने रहे। उनका राजनीतिक सफर कांग्रेस से शुरू हुआ, लेकिन समय के साथ वे शिवसेना में शामिल हुए। शिवसेना के टिकट पर दो बार कॉर्पोरेटर बनने के बाद वे एनसीपी से जुड़े। हाल के वर्षों में जब एनसीपी का विभाजन हुआ, तो उन्होंने शरद पवार के नेतृत्व का साथ दिया।
Mahesh Kothe न केवल राजनीति में बल्कि समाजसेवा के क्षेत्र में भी सक्रिय थे। वे हमेशा जनता के मुद्दों को प्राथमिकता देते और उनके समाधान के लिए प्रयासरत रहते। सोलापुर में उनका प्रभाव इस बात से झलकता है कि वे सभी दलों के नेताओं के साथ अच्छे संबंध रखते थे।
परिवार की राजनीतिक धरोहर थे Mahesh
हालांकि विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन उनके भतीजे देवेंद्र कोठे ने सोलापुर सिटी सेंट्रल से बीजेपी के टिकट पर जीत दर्ज की थी। परिवार की यह राजनीतिक विरासत आज भी जीवित है, लेकिन महेश कोठे के निधन से सोलापुर ने एक प्रभावशाली नेता खो दिया है। महेश कोठे के निधन की खबर सोलापुर पहुंचते ही शहर में शोक की लहर दौड़ गई। उनके समर्थकों और शुभचिंतकों ने इसे सोलापुर की राजनीति और समाज के लिए एक बड़ी क्षति बताया है।
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