नितिन मुकेश एक प्लेबैक भारतीय सिंगर है। नितिन ने 1980-90 के दौरान कई गायकों के साथ काम किया है। नितिन मुकेश जाने माने गायक मुकेश के बेटे है। आज मुकेश के 101वे जन्मदिन पर अपने पिता के लिए अनेक शब्द कहे। उन्होंने कहा “उनके जन्म को सौ साल से ज़्यादा हो गए हैं और उन्हें आज भी बहुत प्यार से याद किया जाता है। काश मैं अपने पिता की तरह आधा इंसान और एक चौथाई गायक बन पाता। क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो मेरे पिता के बारे में अच्छी बातें न कहता हो?
नितिन आगे कहते है की “एक अच्छा इंसान और एक अच्छा गायक होने के नाते समान रूप से प्यार पाना मेरे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है। मुझे अपने पिता का बेटा होने पर गर्व है।”
नितिन बताते है की वह हमेशा से ऐसे नहीं थे, उन्होंने कहा “जब मैं 24 साल का था, तब मैं बहुत ही घमंडी और आत्म-मुग्ध था। मैं अपनी मां के पास गया और कहा कि मैं कॉलेज जाने के लिए अपने पिता की कार का इस्तेमाल करना चाहता हूं। जब उन्होंने मेरे पिता को बताया, तो वे तुरंत सहमत हो गए और कार की चाबियाँ मुझे सौंप दीं। मैं बिना कुछ सोचे-समझे निकल गया। कुछ दिनों बाद जब मैं अपनी बिल्डिंग से बाहर निकला, तो मैंने बस स्टॉप पर किसे खड़ा देखा? हाँ, मेरे पिता ने बस से आना-जाना शुरू कर दिया था, क्योंकि उनके नासमझ बेटे ने परिवार की कार ले ली थी! मेरे पिता के पास ऐसी ही विनम्रता, सादगी और पवित्रता थी। बचपन में हमारे बहुत ही साधारण घर में, मेरे माता-पिता सचमुच रसोई के फर्श पर सोते थे।”
अपने पिता मुकेश और महसूर फिल्म निर्माता राज कपूर के दोस्ती के उपर नितिन कहते है, “वे न केवल पेशेवर रूप से अविभाज्य थे, बल्कि असल जीवन में भी वे बहुत करीबी दोस्त थे। राज अंकल मेरे पिता को ‘मुकेश चंद’ कहते थे, कभी मुकेश नहीं। वास्तव में, जब मैं बोर्डिंग स्कूल जाने के लिए मुंबई से निकल रहा था, तब राज अंकल और कृष्णा आंटी मुझे एयरपोर्ट पर छोड़ने आए थे, क्योंकि मेरे पिता बाहर गए हुए थे। वे कभी भी घर आ जाते थे। हमारा घर उनके अपने घर जैसा था। राज अंकल मेरे पिता की सादगी भरी जीवनशैली पर जोर देने से परेशान रहते थे। वे देखते थे कि हमारे घर में एयर कंडीशनर नहीं है। लेकिन उन्हें पता था कि पापा इसे उपहार में देने के लिए राजी नहीं होंगे, इसलिए राज अंकल कहते थे, ‘नितिन बाबा को रात में बहुत गर्मी लगती है’ और इस तरह वे प्रस्ताव को टाल देते थे।”
नितिन याद करते है की कैसे उनके पिता मुकेश उनकी पढ़ाई को लेकर उत्सुक रहते थे “मेरे पिता बहुत उत्सुक थे कि मैं अपनी पढ़ाई जारी रखूँ। मैं उन्हें कैसे समझाऊँ कि जीवन में मेरा असली पेशा गायन ही है? वे कहते थे, ‘बेटा, पहले पढ़ाई फिर जो जी चाहे करना’। मुझे इंग्लैंड के एक बोर्डिंग स्कूल में भेज दिया गया, जहाँ से मैं ठीक दो महीने में वापस आ गया। मैं रोया-रोया, अपने पिता से विनती की कि वे मुझे घर वापस आने दें। अंत में, मैंने धमकी दी कि अगर मुझे घर नहीं आने दिया गया तो मैं आत्महत्या कर लूँगा। मेरे पिता ने तुरंत मुझे वापस बुला लिया। आज, जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूँ तो मुझे अपने भाई-बहनों की तरह उच्च शिक्षा न मिलने का कोई अफसोस नहीं है। मैंने बोर्डिंग स्कूल में जाने के बजाय अपने पिता के पास रहना चुना।”
मुकेश के गीतों के संग्रह के बारे में नितिन ने कहा, “उन्हें उनके उदासी भरे गीतों के लिए ज़्यादा जाना जाता है, हालाँकि उन्होंने उतने ही खुशनुमा गाने भी गाए हैं। वास्तव में, उनके सबसे हिट गानों में से एक बहुत ही खुशनुमा गाना ‘डम डम डिगा डिगा मौसम भीगा भीगा’ था। महान धार्मिक गुरु मुरारी बापू ने इसे प्रिय के बजाय दैवीयता को संबोधित गीत के रूप में देखा।”
नितिन मानते है की पेशेवर तौर पर मुकेश का बेटा होना कभी भी आसान नहीं था। नितिन कहते है, “मेरी तुलना हमेशा उनसे की जाती थी। लोग कहते थे, ‘ हां अच्छा गाता है। लेकिन मुकेश की तरह नहीं।’ लेकिन मैं अपने पिता जैसा बनने की कोशिश नहीं कर रहा था! कोई दूसरा मुकेश कभी नहीं हो सकता, ठीक वैसे ही जैसे कोई दूसरी लता मंगेशकर कभी नहीं हो सकती”।
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