पाकुड़: झारखंड के पाकुड़ जिले में गुरुवार सुबह उस वक्त हलचल मच गई जब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की एक टीम ने कोयला कारोबारी हाकिम मोमिन के आवास पर छापेमारी की। यह छापेमारी कई घंटों तक चली, जिसमें CBI अधिकारियों ने हाकिम मोमिन के वित्तीय दस्तावेजों, संपत्ति से संबंधित कागजात और उनके व्यवसाय से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों की गहन जांच की।
सूत्रों के अनुसार, CBI की इस कार्रवाई का संबंध हाकिम मोमिन की अचानक बढ़ी संपत्ति और उनके कारोबार में हो रहे संदिग्ध लेन-देन से है। हाकिम मोमिन, जो कि पहले महज चार-पांच हाइवा (बड़े ट्रक) के मालिक थे, आज के समय में लगभग 100 हाइवा और जेसीबी मशीनों के मालिक बन चुके हैं। उनके पास इतनी बड़ी संख्या में वाहनों का होना, वह भी महज कुछ ही वर्षों में, ने जांच एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं।
बताया जा रहा है कि इन सभी वाहनों का पंजीकरण पाकुड़ में ही किया गया है, और इनके लिए कई बैंकों से लोन भी लिया गया है। इन वाहनों का उपयोग मुख्यतः सरकारी ठेकों में किया जाता है, और हाकिम मोमिन के प्रभाव के चलते ठेकेदारों को उनकी गाड़ियों का ही उपयोग करना पड़ता है।
पूर्व मंत्री आलमगीर आलम से संबंध
इस मामले में एक और महत्वपूर्ण पहलू सामने आया है। हाकिम मोमिन के संबंध झारखंड के पूर्व मंत्री आलमगीर आलम से भी बताए जा रहे हैं, जो वर्तमान में जेल में बंद हैं। आलमगीर आलम और हाकिम मोमिन के बीच करीबी संबंधों ने इस मामले को और भी संगीन बना दिया है। CBI इस एंगल से भी जांच कर रही है कि क्या हाकिम मोमिन का कारोबार और उनकी संपत्ति आलमगीर आलम के राजनीतिक प्रभाव के चलते इतनी तेजी से बढ़ी है।
2020 में हाकिम के पास मात्र चार-पांच हाइवा थे, लेकिन वर्तमान में उनके पास 100 से अधिक हाइवा और जेसीबी हैं। इतनी तेजी से बढ़ी संपत्ति और वाहनों की संख्या को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। CBI यह जांच कर रही है कि आखिर कैसे हाकिम ने इतनी बड़ी संख्या में वाहन खरीदे और क्या इसमें कोई अवैध लेन-देन या सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है।
CBI की यह छापेमारी केवल हाकिम मोमिन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इससे जुड़े अन्य लोगों और उनके सहयोगियों के खिलाफ भी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस जांच का क्या नतीजा निकलता है और क्या हाकिम मोमिन और उनके करीबी लोग कानूनी शिकंजे में फंसते हैं या नहीं।