उत्तर प्रदेश की राजनीति में जहां जातीय समीकरण और सत्ता संघर्ष प्रमुख भूमिका निभाते हैं, वहीं कुछ नेता अपनी व्यक्तिगत संघर्ष गाथा के कारण जनता के दिलों में खास जगह बना लेते हैं। उत्तरप्रदेश की राजनीति में एक ऐसा ही नाम (Pooja Pal) है फूलपुर (phulpur seat) विधानसभा सीट की विधायिका, पूजा पाल, (Pooja Pal) जिनका सफर गरीबी और संघर्ष से शुरू होकर सफलता और नेतृत्व तक पहुंचा है।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में पूजा पाल का नाम संघर्ष और दृढ़ता का प्रतीक बन चुका है। एक साधारण परिवार में जन्मीं पूजा पाल के पिता एक पंचर बनाने वाले थे, लेकिन उनकी मेहनत और अदम्य साहस ने उन्हें राजनीति के शीर्ष तक पहुँचाया। लेकिन अब सवाल यह उठ रहा है कि सपा की बदौलत इन ऊंचाइयों को छूने वाली पूजा पाल अब भाजपा नेता का साथ क्यों दे रही है? तो चलिए इस गुत्थी को सुलझाते हैं।
साधारण शुरुआत, असाधारण संघर्ष
परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने और पिता का बोझ हल्का करने के लिए पूजा पाल ने अपने जीवन की शुरुआत एक निजी अस्पताल में नौकरी से की, जहाँ उनकी मुलाकात राजू पाल से हुई। राजू पाल बहुजन समाज पार्टी के विधायक और माफिया अतीक अहमद के कट्टर प्रतिद्वंद्वी थे। दोनों ने 2005 में शादी की, लेकिन शादी के नौ दिन बाद ही राजू पाल की दिन दहाड़े हत्या कर दी गई। सपने टूटे, परिवार का साथ छूटा, लोगों ने लांछन लगाएं। पूजा भी टूट कर बिखर गए परंतु हर नहीं मानी और उन्होंने इस घटना को अपने जीवन का टर्निंग पॉइंट साबित कर दिया।
विधवा से विधायिका तक का सफर
राजू पाल की मौत के बाद पूजा पाल ने अपने संघर्ष की शुरुआत की। मायावती ने उन्हें 2007 में चुनाव लड़ने का मौका दिया, जहाँ उन्होंने अतीक अहमद के भाई अशरफ को हराकर जीत दर्ज की। 2012 में भी वह विधायक चुनी गईं। हालांकि 2017 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 2022 में चायल सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर फिर से विधायक बनीं।
न्याय की लड़ाई
राजू पाल की हत्या के बाद पूजा पाल के जीवन में आए तूफान ने उन्हें न्याय पाने की एक लंबी और कठिन यात्रा पर मजबूर किया। 2005 में अपने पति की हत्या के बाद से ही पूजा ने यह ठान लिया था कि वह किसी भी हालत में न्याय से पीछे नहीं हटेंगी।
पूजा ने कभी हार नहीं मानी और 18 साल तक अदालतों और अधिकारियों के पास जाकर न्याय की मांग की। अंततः, योगी आदित्यनाथ सरकार के सत्ता में आने के बाद, उत्तर प्रदेश पुलिस ने अतीक अहमद और अशरफ के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू की। यह बदलाव पूजा के संघर्ष की जीत था। इस लंबे संघर्ष में जहां कई लोग थक कर बैठ जाते, पूजा ने कभी अपने कदम पीछे नहीं खींचे।
विवादित कदम ( Pooja pal – Phulpur seat)
आज पूजा पाल सपा विधायक होते हुए भी भाजपा उम्मीदवार दीपक पटेल के लिए प्रचार कर रही हैं। उनका कहना है कि उन्हें न्याय दिलाने में भाजपा सरकार का योगदान रहा, और यही उनके फैसले का कारण है।
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