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S.M Krishna: कर्नाटक राजनीति के सितारा ने ली विदा

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Bengaluru: भारतीय राजनीति के दिग्गज और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सौमनाहल्ली मल्लैया कृष्णा का मंगलवार सुबह 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। S.M Krishna अपने छह दशकों के लंबे और गौरवशाली राजनीतिक करियर में न केवल राज्य की राजनीति का बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी भारतीय राजनीति का एक महत्वपूर्ण चेहरा रहे। उनके निधन से देश ने एक ऐसा नेता खो दिया है जिसने कर्नाटक को एक आधुनिक राज्य के रूप में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई।

बेंगलुरु के इस कॉलेज से पढ़े थे S.M Krishna

1 मई 1932 को कर्नाटक के मंड्या जिले के सौमनाहल्ली गांव में जन्मे S.M Krishna का जीवन एक साधारण किसान परिवार से शुरू हुआ। उन्होंने मैसूर के महाराजा कॉलेज से स्नातक किया और बेंगलुरु के सरकारी लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री हासिल की। उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने अमेरिका का रुख किया और साउदर्न मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी और जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी की। अंतरराष्ट्रीय कानून के गहन अध्ययन के साथ-साथ वे फुलब्राइट स्कॉलर भी रहे, जिसने उनके वैश्विक दृष्टिकोण को और निखारा।

राजनीतिक करियर की शुरुआत

1962 में S.M Krishna  ने कर्नाटक विधानसभा के सदस्य के रूप में राजनीति में कदम रखा। 1968 में उन्होंने चौथी लोकसभा में मंड्या जिले का प्रतिनिधित्व किया। 1972 में राज्य की राजनीति में लौटकर वे कर्नाटक के उद्योग, वाणिज्य और संसदीय मामलों के मंत्री बने। 1989 में वे कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर बने और 1993 में राज्य के उपमुख्यमंत्री का पद संभाला।

मुख्यमंत्री के रूप में योगदान

1999 से 2004 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में एस.एम. कृष्णा ने राज्य को प्रगति और नवाचार के नए रास्तों पर अग्रसर किया। उन्होंने बेंगलुरु को “आईटी हब” के रूप में स्थापित करने के लिए आधारभूत संरचना का निर्माण किया। उनकी योजनाओं ने कर्नाटक को वैश्विक तकनीकी मानचित्र पर प्रमुख स्थान दिलाया। भूमि रिकॉर्ड डिजिटलीकरण और ऊर्जा सुधार जैसे कदम उनकी प्रशासनिक दक्षता के उदाहरण हैं।

S M Krishna

विदेश मंत्री भी रह चुके थे SM Krishna

एस.एम. कृष्णा ने न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी छवि को मजबूत किया। 2009 से 2012 तक भारत के विदेश मंत्री के रूप में, उन्होंने देश की विदेश नीति में स्थिरता और दिशा प्रदान की। वे 1982 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहे और 1990 में राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया।


एस.एम. कृष्णा के जीवन में विवाद भी जुड़े, जिनमें अवैध खनन का मामला प्रमुख था, लेकिन अदालत ने जांच को खारिज कर दिया। 2023 में उन्हें सार्वजनिक सेवा में उनके योगदान के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।


2017 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया। उनके निधन से कर्नाटक और भारत ने एक ऐसा नेता खो दिया है, जिसने राजनीति, प्रशासन और विकास को नई दिशा दी। उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। भारतीय राजनीति के इस महानायक को श्रद्धांजलि देते हुए, प्रधानमंत्री और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सहित कई नेताओं ने उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की।

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