16वीं शताब्दी में मुगल शासक बाबर के जनरल मीर बाकी ने फ़ैज़ाबाद स्थित अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण किया। हिंदुओं की ऐसी मान्यता है की वह मस्जिद मन्दिर तोड़ कर बनाया गया था। उनका मनाना है की जिस जगह पर मस्जिद है वहाँ श्री राम का जन्म हुआ था। हिंदू पक्ष इसे ‘राम जन्मभूमि’ कहता है।

अदालत में इस पर कई दशक से सुनवाई चल रही थी। 1940 के दशक में अदालत ने मस्जिद को अगले आदेश तक बंद करने का आदेश दिया था। 1980 में अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी ने एक राजनीतिक पार्टी बनाया जिसका नाम ‘भारतीय जनता पार्टी'(बीजेपी) रखा गया। 1980 के दशक में विश्व हिन्दू परिषद ने भाजपा को अपना राजनीति आवाज़ बनाकर एक अभियान शुरू किया। यह अभियान राम जन्मभूमि पर मन्दिर बनाने के लिए किया गया। आंदोलन कई रूप में किया गया जैसे रैलियां और मार्च आयोजित किए गए, लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में राम रथयात्रा भी इसी का एक हिस्सा था। 1986 में फ़ैज़ाबाद जिला अदालत ने अयोध्या भूमि विवाद पर सुनवाई करते हुए विवादित बाबरी मस्जिद को खोलने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश के अनुसार हिन्दू ‘श्री राम’ की पुजा के लिए मस्जिद आ-जा सकेंगे। मस्जिद के खुलते ही  दोनों ही पक्षों के लोग भारी संख्या में पहुंचने लगे।

6 दिसंबर 1992 को विश्व हिन्दू परिषद और बीजेपी ने मिलकर एक रैली आयोजित किया। जिसमें करीब 1,50,000 लोगों ने भाग लिया था। अचानक से रैली हिंसक हो गई और भीड़ ने सुरक्षा बलों पर हमला कर दिया। गुस्साई भीड़ मस्जिद पर चढ़ गई और मस्जिद को गिरा दिया। कई लोगों का‌ मानना है कि भीड़ में जान कर आक्रोश भरा गया था। न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह लिब्रहान द्वारा लिखित 2009 की एक रिपोर्ट में मस्जिद के विध्वंस के लिए 68 लोगों को जिम्मेदार पाया गया, जिनमें ज्यादातर भाजपा के नेता थे। नामित लोगों में वाजपेयी, आडवाणी, जोशी और विजया राजे सिंधिया शामिल थे।

27 फ़रवरी 2002, को कई कारसेवक विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा आयोजित ‘महा हवन’ में भाग लेकर लौट रहे थे। अयोध्या से गुजरात के अहमदाबाद साबरमती एक्स्प्रेस से जा रहे थे। रेलगाड़ी गोधरा स्टेशन से आगे निकल ही रही थी, तभी चैन घेचकर गाड़ी को रोका गया। अचानक से साबरमती एक्स्प्रेस के बोगी न. एस- 6 पर पथराव शुरू हो गया। कुछ ही देर को बोगी को आग के हवाले कर दिया गया। रेलगाड़ी में कई करसेवक मौजूद थे जो अयोध्या से वापस लौट रहे  थे। आग लगने के  कारण 59 लोगों (9 पुरुष, 25 महिलाएं और 25 बच्चे) की जल कर मौत हो गई।

इस हादसे के बाद कई दिनों तक गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा चला। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दंगे में 1,044 लोगों की मौत हुई, 223 लोग लापता हुए और 2,500 से अधिक लोग घायल हुए। मृतकों में 790 मुस्लिम और 254 हिंदू थे। कई क्रूर हत्याएँ और बलात्कार की घटनाएं भी हुई। उस वक्त के गुजरात के सी.एम नरेंद्र मोदी पर आरोप लगता है, की उन्होंने हिंसा रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।

मनोज मित्ता ने अपनी  पुस्तक “द फिक्शन ऑफ फैक्ट -फाइंडिंग: मोदी एंड गोधरा”  में स्पष्ट रूप से दर्शाया है कि एसआईटी ने अपने प्रभावशाली प्रथम आरोपी के साथ नरमी से पेश आया, उसके खिलाफ कभी एफआईआर दर्ज नहीं की, न ही उसे कई सवालों के घेरे में लाया, जैसे कि 27 फरवरी, 2012 को उसका सार्वजनिक बयान कि गोधरा में ट्रेन जलाना एक “पूर्व-नियोजित अमानवीय सामूहिक हिंसक आतंकवाद” था। यह एक ऐसा दावा है जो अदालतों में साबित नहीं हुआ है, और जो मुसलमानों के खिलाफ सामूहिक प्रतिशोध की घटनाओं में जनता के गुस्से को भड़काने और उसे हवा देने में महत्वपूर्ण था।

7 अक्तूबर 2001 को नरेंद्र मोदी पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने। मोदी को आर.एस.एस नेता से सीधा मुख्यमंत्री बना दिया। 24 फ़रवरी 2002 को राजकोट-2 विधानसभा सीट से मोदी उपचुनाव जीते। 2002 में केंद्र में भी भाजपा की सरकार थी। उस वक्त के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी दो वर्ष बाद 2004 में लोक सभा चुनाव हारने के बाद एक इंटरव्यू में माना की मोदी को उस वक्त पद से न हटाना उनकी बहुत बड़ी गलती थी। दंगों को रोकने के लिए अपर्याप्त कार्रवाई करने के व्यापक आरोपों के कारण मोदी को इस्तीफा दे देना पड़ा। 2002 दिसंबर में गुजरात में फिर से चुनाव करवाये गए। जुलाई 2002 में मोदी के इस्तीफ़ा देने के बाद विधानसभा भंग हो गया। जिसके कारण चुनाव कराना जरूरी हो गया था, चुनाव विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने से 8 महीने पहले हुआ था।

गुजरात विधानसभा में कुल 182 निर्वाचन क्षेत्र हैं। 2002 में कुल 21 पार्टियों और कई सौ स्वतंत्र उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था। पर फिर भी भारतीय जनता पार्टी ने 127 सीटें जीतने में कामयाब रही। इस प्रकार बीजेपी ने विधानसभा में पूर्ण बहुमत प्राप्त किया। मोदी ने मुख्यमंत्री के रूप में दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ ली। कांग्रेस 51 सीटों के साथ सबसे बड़ी विपक्षी‌ पार्टी बनी। बीजेपी ने अपने सहयोगियों के साथ मिल कर 1997 के लोक सभा चुनाव में 270 सीटें जीती थी। भाजपा ने अकेले 180 सीटें पर जीत दर्ज कर पाई। वही 2004 में बीजेपी केवल 130 सीटों पर सिमट गयी।

गोधरा कांड से बीजेपी को देश में एक हिंदू पार्टी के तौर पर पहचान मिली। जिसका बीजेपी को विधान सभा चुनाव में तो फायदा हुआ पर दो साल बाद हुए लोक सभा में कोई फायदा नहीं मिला। गोधरा कांड के 12 साल बाद बीजेपी एक बार फिर अपने हिंदुत्व की पहचान के कारण केंद्र में सत्ता पर काबिज हुई। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने।


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