शुक्रवार को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अटल बिहारी वाजपेयी जी को पुयतिथि पर श्रद्धांजलि दी। दिल्ली के सदैव अटल में कई केंद्रीय मंत्री तथा कई पार्टी के नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। उनका देहांत 16 अगस्त 2018 के हुआ था।
मोदी ने श्रद्धांजलि देने के बाद अपनी भावनाएं एक्स पर पोस्ट पर साझा की। उन्होंने पोस्ट कर लिखा कि “राष्ट्र निर्माण में उनके अद्वितीय योगदान के लिए उन्हें अनगिनत लोग याद करते हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन यह सुनिश्चित करने में समर्पित कर दिया कि हमारे साथी नागरिक बेहतर जीवन जी सकें। हम भारत के लिए उनके सपने को पूरा करने के लिए काम करते रहेंगे।”
अटल जी की जीवनी
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 में हुआ था। उन्होंने तीन बार प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा की है। वाजपेयी ने भाजपा के पार्टी अध्यक्ष के रूप में 1968 से लेकर 1972 तक अपनी भूमिका निभाई थी। उनका राजनीतिक कैरियर 50 सालों का रहा। इसमें अटल 10 बार लोक सभा और 2 बार राज्यसभा के सदस्य के तौर पर चुने गए हैं। उन्होंने राजनीति 2009 में स्वस्थ कारणों के कारण छोड़ी।
वाजपेयी जी को कविताओं का भी शौक था। उन्होंने पहली बार भारत के 10वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लिया था। 1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बने वाजपेयी को 13 दिनों में इस्तीफा देना पड़ा था। दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने पर उन्हें AIADMK द्वारा समर्थन न मिलने पर इस्तीफा देना पड़ा था। इनके कार्यकाल के दौरान ही भारत ने सफलतापूर्वक पोखरण परमाणु टेस्ट किया था । 1999 में हुए कारगिल युद्ध में भारत की जीत में उनका काफी बड़ा योगदान था।
वह तीसरी बार प्रधानमंत्री 1999 के लोकसभा के चुनाव जीत कर बने और अपना कार्यकाल पूरा किया। इस दौरान उन्होंने कई सारी योजनाएं जनता तक पहुंचाई। राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना जैसी कई योजनाओं से देश को लाभ पहुंचाया।
खराब रहने लगा था स्वास्थ
2005 में अटल जी रिटायर हुए। 2009 में उन्हे आए एक स्ट्रोक के बाद उनका स्वस्थ लगातार खराब रहने लगा था। जून 2018 में उन्हे अस्पताल में भर्ती कराया गया था जिसके 2 महीने बाद ही उनका देहांत हो गया।
अटल जी की उपलब्धियां
मार्च 2015 को उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न मिला।
1992 में अटल जी को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
1994 में उन्हें सम्मान के तौर पर उत्कृष्ट सांसद का पुरस्कार दिया गया।
1994 में ही उन्हें लोकमान्य तिलक पुरस्कार भी दिया गया।
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