विश्वकर्मा पूजा आमतौर पर हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस वर्ष, विश्वकर्मा पूजा 16 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी।

क्यों बनाया जाता है विश्वकर्मा पूजा?

विश्वकर्मा पूजा कारीगरों, शिल्पकारों और इंजीनियरों का सम्मान करने के लिए मनाई जाती है। ये लोग हमारे समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, हमारे दैनिक जीवन में आवश्यक वस्तुओं का निर्माण करते हैं। विश्वकर्मा पूजा के दिन, कारीगर अपने उपकरणों और मशीनरी की पूजा करते हैं, ताकि उन्हें सफलता और सुरक्षा प्राप्त हो।

इसके अलावा, विश्वकर्मा पूजा का धार्मिक महत्व भी है। विश्वकर्मा हिंदू पौराणिक कथाओं में एक प्रमुख देवता हैं, जिन्हें “सृष्टिकर्ता” के रूप में जाना जाता है। विश्वकर्मा की पूजा करने से व्यक्ति को आशीर्वाद और सफलता प्राप्त होती है।

विश्वकर्मा पूजा मनाने से पहले यह जानना बेहद जरूरी है की  विश्वकर्मा कौन थे? तो बता दे कि, विश्वकर्मा हिंदू पौराणिक कथाओं में एक प्रमुख देवता हैं। उन्हें “सृष्टिकर्ता” के रूप में जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने ब्रह्मांड की रचना की थी। विश्वकर्मा को सभी शिल्पों और कौशल का संरक्षक माना जाता है।

विश्वकर्मा पूजा के महत्व

विश्वकर्मा पूजा का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। इसे तीन प्रमुख कारण है:

कारीगरों का सम्मान: विश्वकर्मा पूजा का मुख्य उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों के कौशल और योगदान का सम्मान करना है। वे हमारे समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, हमारे दैनिक जीवन में आवश्यक वस्तुओं का निर्माण करते हैं।
सफलता और सुरक्षा: कारीगर इस दिन अपने उपकरणों और मशीनरी की पूजा करते हैं, ताकि उन्हें सफलता और सुरक्षा प्राप्त हो। यह विश्वास किया जाता है कि पूजा करने से उनके काम में बाधाएं दूर होती हैं और उन्हें सफलता मिलती है।
धार्मिक महत्व: विश्वकर्मा पूजा का धार्मिक महत्व भी है। यह देवता विश्वकर्मा की पूजा करने से व्यक्ति को आशीर्वाद और सफलता प्राप्त होती है।

विश्वकर्मा पूजा कैसे मनाया जाता है?

विश्वकर्मा पूजा के दिन, कारीगर अपने कार्यस्थलों को सजाते हैं और फूलों और दीयों से सजाते हैं। वे अपने उपकरणों और मशीनरी को शुद्ध करते हैं और उन्हें दूध, चावल और हल्दी से अभिषेक करते हैं। इसके बाद, वे पूजा करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि उनके काम में सफलता मिले और उन्हें सुरक्षा प्राप्त हो।

विश्वकर्मा पूजा का उत्सव भारत भर में मनाया जाता है, लेकिन कुछ राज्यों में यह उत्सव विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। उत्तर प्रदेश में विश्वकर्मा पूजा का उत्सव बड़े पैमाने पर मनाया जाता है।

विश्वकर्मा पूजा को लेकर मान्यताएं

विश्वकर्मा पूजा को लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं। ये मान्यताएं सदियों से चली आ रही हैं और इन्हें पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाया जाता रहा है। आइए कुछ प्रमुख मान्यताओं पर नजर डालते हैं:

कारीगरों का आशीर्वाद: सबसे प्रमुख मान्यता यह है कि विश्वकर्मा पूजा करने से कारीगरों को देवता विश्वकर्मा का आशीर्वाद मिलता है। यह माना जाता है कि विश्वकर्मा सभी शिल्पों और कौशल के देवता हैं, इसलिए उनकी पूजा करने से कारीगरों के काम में सफलता मिलती है और उन्हें सुरक्षा प्राप्त होती है।
उपकरणों की पूजा: विश्वकर्मा पूजा के दिन कारीगर अपने उपकरणों और मशीनरी की पूजा करते हैं। यह माना जाता है कि इन उपकरणों की पूजा करने से वे लंबे समय तक चलते हैं और उनमें कोई खराबी नहीं आती।
नई शुरुआत: विश्वकर्मा पूजा को एक नए साल की शुरुआत के रूप में भी देखा जाता है। इस दिन, कारीगर अपने पुराने उपकरणों को छोड़कर नए उपकरण खरीदते हैं और उनका पूजन करते हैं। यह माना जाता है कि इससे उनके काम में नई ऊर्जा और उत्साह आता है।
सुरक्षा और समृद्धि: विश्वकर्मा पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। यह माना जाता है कि विश्वकर्मा देवता अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उन्हें हर तरह की समस्याओं से बचाते हैं।
कर्म का महत्व: विश्वकर्मा पूजा हमें कर्म के महत्व के बारे में याद दिलाती है। यह हमें बताती है कि कड़ी मेहनत और लगन से किए गए किसी भी काम में सफलता जरूर मिलती है।

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