Daylight Saving time पर Donald Trump का ऐलान: क्या खत्म होगी घड़ी बदलने की परंपरा?

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Daylight Saving time: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने एक ऐतिहासिक कदम की ओर इशारा किया है। शुक्रवार (13 दिसंबर, 2024) को अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए उन्होंने Daylight Saving time (डेलाइट को समाप्त करने की इच्छा जताई। यह वही परंपरा है, जिसके तहत अमेरिकी हर साल दो बार अपनी घड़ियों के समय में बदलाव करते हैं – मार्च में एक घंटा आगे और नवंबर में एक घंटा पीछे।

Donald Trump ने कहा, “डेलाइट सेविंग टाइम असुविधाजनक और महंगा है। रिपब्लिकन पार्टी इसे खत्म करने के लिए अपना पूरा प्रयास करेगी। यह प्रथा हमारे देश के लिए लाभदायक नहीं है।”

क्या है डेलाइट सेविंग टाइम?

डेलाइट सेविंग टाइम की शुरुआत 1942 में अमेरिका में हुई थी। इसे द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक अस्थायी उपाय के रूप में लागू किया गया था ताकि दिन की रोशनी का अधिकतम लाभ उठाया जा सके। इसका मुख्य उद्देश्य ऊर्जा की बचत करना और कामकाजी घंटों को रोशनी के हिसाब से समायोजित करना था।

लेकिन बदलते समय के साथ, यह प्रथा अब आलोचनाओं के घेरे में आ गई है। कई लोग मानते हैं कि इसका उद्देश्य अब अप्रासंगिक हो चुका है।

Daylight Saving time पर क्यों उठे सवाल?

डेलाइट सेविंग टाइम (Daylight Saving time) का सबसे बड़ा विवाद इसके स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभावों को लेकर है। 2016 की एक रिपोर्ट के अनुसार, हर साल इस प्रथा के कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लगभग $430 मिलियन का नुकसान होता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि समय बदलने से जैविक घड़ी पर असर पड़ता है। इससे दिल के दौरे, स्ट्रोक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन और अमेरिकन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन जैसे संगठनों ने भी इसे खत्म करने की सिफारिश की है।

Daylight Saving time
Daylight Saving time

मस्क और रामास्वामी ने भी किया समर्थन

Donald Trump के इस फैसले को सरकारी कार्यक्षमता विभाग के प्रमुख एलन मस्क और विवेक रामास्वामी का भी समर्थन मिला है। रामास्वामी ने कहा, “Daylight saving time’ अक्षम है और इसे खत्म करना आसान है।” एलन मस्क ने इसे “गैर-जरूरी और अप्रभावी” करार दिया।

क्या आपको पता है इसका इतिहास?

इस प्रथा के तहत घड़ियों को हर साल मार्च के दूसरे रविवार को एक घंटे आगे और नवंबर के पहले रविवार को एक घंटे पीछे किया जाता है। यह नियम 2007 से लागू है, जिसे ऊर्जा नीति अधिनियम (Energy Policy Act) के तहत तय किया गया था।

लेकिन इसके नियमों में समय-समय पर बदलाव होते रहे हैं:

1974-75: डेलाइट सेविंग टाइम की शुरुआत जनवरी और फरवरी में हुई।

1986: इसे अप्रैल के पहले रविवार से शुरू करने का कानून पास हुआ।

2007: इसे मार्च और नवंबर के मौजूदा समय में लागू किया गया।

हालांकि, हवाई और एरिजोना जैसे राज्यों ने इसे पूरी तरह से अस्वीकार कर दिया है और केवल मानक समय (Standard Time) का पालन करते हैं।

स्वास्थ्य बनाम परंपरा: क्या है सही?

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि मानक समय (Standard time) मानव शरीर की जैविक घड़ी के अधिक अनुकूल है। डेलाइट सेविंग टाइम के कारण नींद के पैटर्न में बदलाव होता है, जिससे उत्पादकता और स्वास्थ्य दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि स्थायी मानक समय अपनाने से अमेरिकियों की जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव आएंगे।

अगर Donald Trump अपने इस फैसले को लागू करते हैं, तो अमेरिका में हर छह महीने घड़ी बदलने की परंपरा हमेशा के लिए खत्म हो सकती है। यह न केवल स्वास्थ्य के लिए बेहतर होगा, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी लाभदायक साबित होगा। ट्रंप का यह कदम कार्यक्षमता, स्वास्थ्य और आधुनिक समय की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए एक ऐतिहासिक बदलाव का संकेत देता है।

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